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फ्री स्पीच से कोई आहत न हो, बोलते समय सावधानी रखें: मद्रास हाईकोर्ट
चेन्नई। तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बेटे और मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर बहस के बीच मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि फ्री स्पीच का मतलब हेट स्पीच नहीं हो सकता। संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन आपकी बातों से कोई आहत नहीं होना चाहिए। जस्टिस एन शेषशायी ने शुक्रवार को कहा कि कोर्ट समय-समय पर सनातन धर्म के पक्ष और विपक्ष में होने वाली बहस के प्रति सचेत है। कोर्ट इस मुद्दे पर चिंतित है। इसलिए चारों ओर क्या हो रहा है, इस पर विचार करने से हम खुद को रोक नहीं सके।
देश में छुआछूत अब बर्दाश्त नहीं
हाईकोर्ट ने कहा- ऐसा लगता है कि एक विचार ने जोर पकड़ लिया है कि सनातन धर्म पूरी तरह से जातिवाद और छुआछूत को बढ़ावा देने वाला है। समान नागरिकों के देश में छुआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। छुआछूत सनातन धर्म के अंदर या हो बाहर, यह संवैधानिक नहीं है, लेकिन दुख की बात है कि यह अब भी मौजूद है। याचिकाकर्ता ईलनगोवन ने कोर्ट में बताया था कि सनातन धर्म न तो छुआछूत को मंजूरी देता है और न ही इसे बढ़ावा देता है। यह हिंदू धर्म मानने वाले लोगों को सभी के साथ समान व्यवहार करने पर जोर देता है। हालांकि, कॉलेज ने सर्कुलर पहले ही वापस ले लिया था, इसलिए हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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सीमित है बोलने की आजादी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा- संविधान का आर्टिकल 19(1) हमें बोलने की आजादी देता है, लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि यह एब्सोल्यूट राइट नहीं है। संविधान बनाने वालों ने इसे आर्टिकल 19(2) के साथ सीमित भी किया है।