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शिमला। रिज पर लोगों को घोड़ों पर सैर करवाने वाले इन घोड़ा संचालकों ने नगर निगम (MC) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को घोड़ा संचालकों का एक प्रतिनिधिमंडल सीटू के नेतृत्व में नगर निगम (municipal Corporation) की महापौर से मिला और उनसे मजूदर विरोधी फैसले को वापस लेने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने दो टूक चेतावनी (Warning) दी है कि अगर समय रहते नगर निगम फैसला वापस नहीं लेता है तो घोड़ा संचालक अपनी मांगों को लेकर एक निर्णायक आंदोलन करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में सीटू राज्य कमेटी सचिव रमाकांत मिश्रा, जिला सचिव, बाबू राम, विनोद वीरसांटा, बालक राम, गुलामू दिन, अमर, भीखम राम, फिरोज खान, मस्थाख, शेर सिंह, सुभाष चंद, शेरदीन आदि साथियों ने भाग लिया।
बता दें कि नगर निगम शिमला ने हाल ही में अपनी मासिक बैठक में रिज पर घोड़ा संचालन को लेकर नई व्यवस्था आरंभ करने का फैसला लिया है। इसके अनुसार घोड़ा संचालकों द्वारा चलाए जा रहे घोड़ों का संचालन अपने हाथ में लेकर कुल कमाई का 10 प्रतिशत हिस्सा नगर निगम लेगा। घोड़ा संचालक ने नगर निगम के इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि हम कई दशकों से रिज में घोड़ों का संचालन कर अपने परिवार की रोजी रोटी चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सभी घोड़ा संचालक नगर निगम के पास पंजीकृत है और दशकों से इसकी वार्षिक फीस भी नियमित रूप से देते आ रहें हैं। बावजूद इसके नगर निगम अब नए फैसले उन पर थोप रहा है। नगर निगम द्वारा गरीबों पर इस तरह का आर्थिक बोझ डालकर सभी घोड़ा संचालकों का रोजगार सुरक्षित नहीं रहेगा। सीटू जिला सचिव बाबू राम ने कहा कि नगर निगम ने यदि इस फैसले को वापस नहीं लिया तो सीटू घोड़ा संचालकों के हकों व उनकी रोजी रोटी को सुरक्षित रखने के लिए घोड़ा संचालकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नगर निगम के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगा।
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