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सपने दिखे #Varanasi के घाट तो मां के साथ घूमने निकल पड़ा ये बेटा
Last Updated on November 29, 2020 by Vishal Rana
दिल्ली। इन दिनों सोशल मीडिया (social media) पर एक युवा कारोबारी की तस्वीरें खूब वायरल हो रही है। दरअसल, केरल निवासी सरथ कृष्णन (Sarath Krishnan) नाम का एक कारोबारी अपने मां के साथ पूरे देश की यात्रा पर निकला है। सरथ देश के कई हिस्सों की यात्रा अपनी मां के साथ कर चुका हैं। सरथ कृष्णन ने सोशल मिडिया के जरिए कहा कि एक दिन उन्हें सपना आया कि वो अपनी मां का हाथ पकड़े वाराणसी (Varanasi) के घाटों पर घूम रहे हैं और पीछे से भजन की आवाज आ रही है। उन्होंने बताया मुझे यह असंभव लग रहा था क्योंकि मैं वाराणसी के घाटों से उठने वाली सुगंध को महसूस कर सकता था। यह एक सपना कैसे हो सकता है। इसके बाद उन्होंने तुरंत बिस्तर से बाहर निकलर लैपटॉप से दो हवाई टिकट बुक किए। रसोई में जाकर उन्होंने अपनी मां को बताया, “अम्मा, मैंने टिकट बुक कर ली है। चलो अब चलते हैं!”
उनकी मां, गीता रामचंद्रन बेटे के वाराणसी जाने के फैसले को लेकर पूरी तरह से चौंक गई। बाद में वो दोनों तीन दिन के लिए कपड़ों के एक बैग के साथ कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Kochi International Airport) पर चले गए। सरथ याद करते हुए कहते हैं, कि “हम फ्लाइट में सवार हुए और शाम 7 बजे तक वाराणसी पहुंच गए. हौसला बढ़ने के बाद हम उस सुबह सपने में जैसे हाथ पकड़े घाटों पर चले गए।” अब उनकी मां गीता के लिए यह आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि उनका विचित्र बेटा हमेशा अपनी मां के साथ दुनिया का पता लगाने के लिए ऑन-द-स्पॉट निर्णय लेता है और फिर बैग पैक कर लेता है।
30 वर्षीय सरथ कहते हैं कि अम्मा के साथ कोई भी यात्रा स्वर्ग जैसा सुख देती है। मां-बेटे की ये जोड़ी लगभग हर तीन महीने में एक बार यात्रा पर जाती है। इनकी “पहली यात्रा मुंबई की थी जहां से ये नासिक, शिरडी और अजंता-एलोरा की गुफाएं गए। उस यात्रा में 11 दिन लगे। इसके अलावा ये दोनों दिल्ली, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, तिब्बत, नेपाल और माउंट एवरेस्ट तक जा चुके हैं।सरथ की मां का कहना है कि “मुझे नहीं पता था कि मैं इन सालों में क्या याद कर रही हूं। मैं 60 साल की हूं, मधुमेह की वजह से इस उम्र में दुनिया को देखने की आशा नहीं थी। लेकिन अब मैं बेहद खुश हूं और अगली यात्रा की योजना बना रहा हूं। मेरी प्रार्थना है कि अब मेरे जीवन को किस्मत कुछ और वर्ष आगे बढ़ा दें ताकि मैं बची हुई जगहों पर भी जा सकूं।