-
Advertisement
लापरवाही छात्रा पर भारी, 10वीं के टॉप-10 में एंट्री मारी
Last Updated on November 18, 2020 by Sintu Kumar
सोलन। प्रदेश शिक्षा बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा कई छात्रों को भुगतना पड़ता है, जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसा ही मामला जिला सोलन के उपमंडल अर्की मुख्यालय में एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली होनहार विद्यार्थी अक्षाली गुप्ता के साथ पेश आया। आखिर पूरा मामला क्या है हम आपको बताते हैं दराअसल कक्षा 10 में पढने वाली छात्रा अक्षाली गुप्ता पढ़ाई में होनहार है । जैसे ही हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जून 2020 में परिणाम प्रस्तुत किया गया। उसमें अक्षाली गुप्ता को 700 में से 667 अंक प्राप्त दर्शाए गए।
बोर्ड द्वारा अगस्त 2020 में पुनर्मूल्यांकन के पश्चात 6 अंक बढ़ा कर 673 अंक देकर परिणाम घोषित कर दिया गया। परन्तु अक्षाली गुप्ता को यह स्वीकार्य नही था तो परिजनों ने पुनः बेटी का दिल रखने के लिए सूचना के अधिकार के तहत अक्षाली गुप्ता के संस्कृत, सामाजिक अध्ययन व अंग्रेजी विषय की उत्तर पुस्तिकाओं की छायाप्रतियां मंगवाई गई। छायाप्रतियों की जांच के पश्चात पता चला कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में भारी गड़बड़ है। बोर्ड को छायाप्रतियो व असली उत्तरपुस्तिका का मिलान करने के लिए पत्र लिखा तो बोर्ड के द्वारा अब अक्षाली गुप्ता को 9 अंक बढ़ा कर 682 अंक देकर प्रदेश की टॉप 10 में सम्मलित घोषित कर दिया गया।
10 टॉपर बच्चों में स्थान बनाने वाली अक्षाली गुप्ता ने इस सफलता का श्रेय अपने गुरुजनों सहित परिजनों को दिया है। उन्होंने कहा कि यदि परिजन उनका सहयोग ना करते तो वह यह सफलता हासिल नहीं कर पाती। शंका की बात यह है कि एक होनहार छात्रा के दो विषयो में 15 नम्बर गायब कर बोर्ड के कर्मचारी या पुनर्मूल्यांकन करने वाले अध्यापको की मंशा क्या थी कहीं ऐसा तो नही की स्कूल शिक्षा बोर्ड की आड़ में कोई ऐसा माफिया काम कर रहा है जो पैसा लेकर या अन्य शोषण कर उन्ही छात्र छात्राओं के नम्बर बढ़ाता है। जो उनकी शर्ते मानते होंगे। क्योंकि अगर एक छात्रा के भविष्य के साथ ऐसा हुआ है जिसके माता पिता शिक्षित है। तो शायद प्रदेश में और भी ऐसे बच्चे होंगे जिनके माता पिता अशिक्षित हो या जो इस पचड़े में न पड़ना चाहते हो, ओर वह बच्चे ऐसे कर्मचारियों व अध्यापकों की घृणित कार्यशैली का शिकार होकर अपना भाग्य कोस रहे होंगे।