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श्रीलंका के इस मंदिर में आज भी है भगवान बुद्ध का दांत, हर दिन बढ़ रहा आकार
Last Updated on August 5, 2020 by
हम लोग जिन महापुरुषों की बातें करते हैं या उनके बारे में किताबों में बढ़ते हैं जब उनसे जुड़ी किसी चीज के बारे में पता चलता है तो ये काफी रोचक होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान बुद्ध (Lord Buddha) के बारे में जिन्हें हम सब गौतम बुद्ध के नाम से जानते हैं। गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ईस्वी पूर्व में हुई थी और इस बात को हजारों साल गुजर चुके हैं। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि श्रीलंका (Sri Lanka) में एक ऐसा अद्भुत मंदिर है, जहां आज भी भगवान बुद्ध का दांत रखा हुआ है। मान्यता है कि भगवान बुद्ध का ये दांत बेहद शक्तिशाली है। यह भी कहा जाता है कि यह दांत हर दिन आकार में बढ़ रहा है। यह मंदिर श्रीलंका के कैंडी शहर में है।
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कहते हैं कि गौतम बुद्ध के देह त्यागने के बाद उनका अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ था, लेकिन उनके एक अनुयायी ने उनकी चिता से उनका दांत निकाल कर राजा ब्रह्मदत्त के हवाले कर दिया था। भगवान बुद्ध के दांत राजा ब्रह्मदत्त के पास काफी समय तक रहे। अंत में भगवान बुद्ध के एक अनुयायी ने चोरी-छिपे दांत को चुराकर श्रीलंका पहुंचा दिया था। उस समय में कैंडी श्रीलंका की राजधानी हुआ करती थी। तब यहां के राजा ने अपने महल के पास ही भगवान बुद्ध के दांत के लिए विशाल मंदिर (Temple) का निर्माण कराया और दांत को उसी भव्य मंदिर में रख दिया। वर्ष 1603 में जब पुर्तगालियों (Portuguese) ने श्रीलंका पर हमला किया तो गौतम बुद्ध के उस दांत की रक्षा के लिए उसे दुम्बारा ले जाया गया, लेकिन बाद में फिर उसे कैंडी लाया गया तभी से यह दांत एक छोटी सी डिबिया में रखा हुआ है। मंदिर में हजारों लोग इस दांत के दर्शन करने आते हैं।
हर बुधवार को कराया जाता है सुगंधित पानी से स्नान
मालवत्ते और असगिरिया नामक दो बौद्ध संप्रदाय के भिक्षुक इस मंदिर के गर्भग्रह में दैनिक रूप से पूजा का आयोजन करते हैं। हर बुधवार को भगवान के पवित्र दांत को सुगंधित फूल मानुमुरा मंगलया से बने सुगंधित पानी से स्नान कराया जाता है। इसके बाद इस पवित्र जल को श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस जल को चंगाई की शक्तियों से युक्त माना जाता है। हालांकि डिबिया खोलकर किसी को भी वो दांत नहीं दिखाया जाता है। श्रीलंका के कैंडी शहर में हर साल जुलाई और अगस्त के महीने में ‘कैंडी पेराहेरा’ नाम का एक त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान जिस डिब्बी में भगवान बुद्ध का दांत रखा हुआ है उसे पूरे शहर में घुमाया जाता है।