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विरोध के बाद ‘AAP’ ने बदला आदेश, शपथ ग्रहण में शिक्षकों की मौजूदगी अनिवार्य नहीं
Last Updated on February 15, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम के तौर पर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के शपथ ग्रहण समारोह (Oath taking ceremony) में शिक्षकों के शामिल होने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) द्वारा विरोध किए जाने के बाद दिल्ली सरकार बैकफुट पर आ गई है। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति पर अपने कदम पीछे खींचते हुए दिल्ली सरकार ने नया आदेश जारी किया है। नए आदेश में शिक्षकों की अनिवार्य उपस्थिति को निमंत्रण में बदलते हुए रामलीला मैदान में शिक्षकों की एंट्री के दौरान अटेंडेंस नहीं लगाने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने इस मसले कहा था कि सरकारी ऑर्डर निकालकर जबरदस्ती शिक्षकों (Teachers) को लाकर हाज़िरी लगवाना गलत परंपरा की शुरुआत है। कपिल ने कहा कि शपथ ग्रहण को ऐसे ‘अनावश्यक ग्रहणों’ से मुक्त रखना चाहिए। वहीं कांग्रेस द्वारा भी दिल्ली सरकार के इस फैसले का विरोध किया गया था। वहीं विपक्षी नेताओं की आलोचना पर ‘आप’ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा था कि ये लोग शिक्षकों की इज़्ज़त करना नहीं जानते। उन्होंने कहा था कि दिल्ली चुनाव, देश का पहला चुनाव है जहां शिक्षकों के काम को जनता ने सराहा है। ‘आप’ शिक्षकों का सम्मान करती है।