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PM पद के दावेदार आचार्य यशी बोले: Tibet की आजादी के लिए चीन से वार्ता जरूरी
Last Updated on December 29, 2020 by Sintu Kumar
धर्मशाला। तिब्बत (Tibet) की आजादी व स्वायत्ता के लिए चीन (China) से वार्ता जरूरी है, लेकिन चीन ने 2011 के बाद वार्ता करना बंद कर दिया है। यह बात निर्वासित तिब्बती संसद के उप सभापति आचार्य यशी ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि छह दशकों से अधिक समय से तिब्बत की आजादी (Tibet’s independence) के लिए संघर्ष चल रहा है और इसके लिए चीन से वार्ता जरूरी है। उन्होंने कहा कि आगामी रविवार को निर्वासित तिब्बती संसद के चुनाव (Exile Tibetan Parliament Election) हैं। तिब्बती समुदाय के लोगों के आह्वान पर वह पीएम पद के लिए खड़े हुए हैं। उन्होंने सभी तिब्बती समुदाय के लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वे सभी लोगों में प्रजातन्त्र और लोकतंत्र में सहभागिता का आह्वान करते हैं। क्योंकि धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) भी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाने को कहते हैं।
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उन्होंने बताया कि यह चुनाव तिब्बत की आजादी के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को तेजी देने के लिए हैं साथ ही तिब्बत की एकता के लिए भी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के 30 देशों में तिब्बतियन लोग रहते हैं। इसमें जो लोग निर्वासन में रहते है उन्हें इस चुनाव में भाग लेना चाहिए। दलाई लामा ने निर्वासन की शुरुआत से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic system) को अपनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 33 वर्ष भारत मे रहते हुए बनारस और शिमला में शिक्षा ली। अनेक साल तिब्बत संघर्ष में काम किया है और प्रशासनिक काम किए हैं। आचार्य यशी ने अपने घोषणा पत्र में मुख्य रूप से तिब्बत का संघर्ष, तिब्बती समाज मे स्थिरता व मुद्राकोष में बढ़ावा देना मुख्य बिंदू रखे हैं। उनका मानना है कि बिना मुद्रा के कुछ नही चल सकता, इसलिए विश्व मुद्राकोष बढ़ाना जरूरी है।