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मुंबई। फिल्म अभिनेता ओमपुरी का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 66 साल के थे। ओम पुरी के निधन के बाद फिल्म जगत के साथ-साथ पूरे देश में शोक की लहर है। मायानगरी में उनके निधन के बाद फिल्मी सितारे सदमे में हैं। उधर, बताया जा रहा है कि ओमपुरी ने शुक्रवार सुबह अंतिम सांस ली।
शबाना आजमी ने कहा कि ओमपुरी से करीब की दोस्ती रही थी, उनके साथ कई फिल्मों में काम किया, उनका निधन होना बहुत अफसोस की बात है। वहीं, मधुर भंडारकर का कहना है कि उन्हें तो इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा है…? मधुर भंडारकर ने कहा कि यकीन नहीं होता कि इतना एक्टिव इंसान इसतरह अचानक चला गया, बहुत दुखद बात है, फिल्म इंडस्ट्री में उनका बहुत कमाल का योगदान रहा है। डेविड धवन ने कहा कि बड़ा धक्का लगा उनकी डेथ की न्यूज सुनकर। 1974 में हम रूम मेट रह चुके थे। वो ब्रिलियंट एक्टर थे।
पंजाबी परिवार में हुआ जन्म
ओमपुरी 8 अक्टूबर, 1950 को अंबाला में पैदा हुए। उनका जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ था। हिंदी फिल्मों के अलावा पाकिस्तान और हॉलीवुड की फिल्मों में भी ओमपुरी ने काम किया। पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से भी पढ़ाई की। यहां नसीरुद्दीन शाह उनके क्लासमेट थे।
जब ओमपुरी को करनी पड़ी नौकरी
उनकी जीवनी अनलाइकली हीरो: ओमपुरी के अनुसार 1950 में पंजाब के अम्बाला में जन्मे इस महान कलाकार का शुरुआती जीवन अत्यंत गरीबी में बीता और उनके पिता को दो जून की रोटी कमाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। ओमपुरी के पूर्व पत्नी नंदिता सी पुरी द्वारा लिखी गई इस किताब में कहा गया है कि टेकचंद (ओमपुरी के पिता) बहुत ही तुनकमिजाज और गुस्सैल स्वभाव के थे और लगभग हर छह महीने में उनकी नौकरी चली जाती थी। उन्हें नई नौकरी ढूंढ़ने में दो महीने लगते थे और फिर छह महीने बाद वह नौकरी भी चली जाती। वे गरीबी के दिन थे जब परिवार को अस्तित्व बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती।
रेलवे स्टोर में चोरी के आरोप में पिता के गिरफ्तार होने के बाद ओमपुरी एक चाय की दुकान में हेल्पर के रूप में काम करने लगे ओमपुरी और उनके भाई वेद द्वारा कुछ धन जुटाने के लिए छोटा मोटा काम शुरू करने से पहले उनका परिवार बहुत दिनों तक पड़ोसियों के रहमो करम पर जीवित रहा। ओमपुरी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि 7 साल की उम्र में वह चाय की दुकान पर ग्लास धोते थे। उस दौरान उन्हें इस काम के लिए 5 रुपये प्रति माह मिला करते थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पिता को एक झूठे केस में तीन महीने जेल काटनी पड़ी।
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