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Lockdown के बीच उत्तर भारत में ‘एरेसॉल’ का स्तर 20 साल में सबसे कम: NASA
Last Updated on April 23, 2020 by
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए पूरे देश को 3 मई तक के लिए लॉकडाउन पर रखा गया है। इस लॉकडाउन के चलते जहां लगभग एक सौ तीस करोड़ भारतीय अपने-अपने घरों में रहने को मजबूर हैं, जिसका सीधा आसार हमारे पर्यावरण पर देखने को मिल रहा है। दरअसल नासा (NASA) के सैटेलाइट सेंसर्स से यह पता चला है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन के बीच उत्तर भारत (North India) में ‘एरेसॉल’ (aerosols) 20 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। दरअसल, एरेसॉल हवा में मौजूद छोटे ठोस और तरल कण होते हैं जो दृश्यता को कम करते हैं और मानव फेफड़ों व हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
स्टेट ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशिया के एक्टिंग असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस जी वेल्स ने ट्वीट किया, ‘नासा के द्वारा ली गई यह तस्वीरें भारत में 20 साल के सबसे कम प्रदूषण को दिखाती हैं। जब भारत और दुनिया के देशों में यातायात फिर शुरू होगा तो हमें साफ हवा के लिए प्रयासों को ध्यान रखना चाहिए।’ नासा में यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (यूएसआरए) के साइंटिस्ट द्वारा इस बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि लॉकडाउन के कारण वायुमंडल में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिला है। इससे पहले कभी उत्तर भारत के ऊपरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का इतना कम स्तर देखने को नहीं मिला। लॉकडाउन के बाद 27 मार्च से कुछ इलाकों में बारिश हुई। इससे हवा में मौजूद एयरोसॉल नीचे आ गए। यह लिक्विड और सॉलिड से बने ऐसे सूक्ष्म कण हैं, जिनके कारण फेफड़ों और हार्ट को नुकसान होता है। एयरोसॉल की वजह से ही विजिबिलिटी घटती है।