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Diploma Holder लैब तकनीशियन की नौकरी पर लटकी तलवार, सताने लगी भविष्य की चिंता
Last Updated on February 13, 2020 by Deepak
ऊना। मैट्रिक के बाद लैब तकनीशियन का डिप्लोमा (Diploma) हासिल करके रोजगार की राह देख रहे हजारों बेरोजगारों की नौकरी मिलने की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में लैब तकनीशियनों (Lab Technician) की भर्ती को लेकर जारी किए गए नए आदेशों से डिप्लोमा होल्डर्स खफा हैं।
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डिप्लोमा होल्डर ने सरकार के इस आदेश को उनके साथ सरासर नाइंसाफी करार दिया है। वहीं, करीब 15-15 साल से आरकेएस (RKS) के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग की लैब में सेवाएं प्रदान कर रहे डिप्लोमा होल्डर लैब तकनीशियन भी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए फरमानों के तहत अभी 674 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की है। इनमें 154 पद रोजगार के हवाले करते हुए बैच वाइज भरने का निर्णय लेते हुए आंकड़े मांगे गए हैं।
वहीं, 520 पदों को कमीशन के तहत भरा जाना है। इसमें सभी पदों को भरने के लिए आवेदकों की शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualification) बीएससी निर्धारित कर दी गई है, जबकि दसवीं के बाद लैब तकनीशियन का डिप्लोमा हासिल किए और हिमाचल प्रदेश पैरा मेडकिल काउंसिल से पंजीकृत हजारों बेराजगार लैब तकनीशियन और आरकेएस में पहले से ही सेवाएं दे रहे सैकड़ों कर्मचारियों का बाइपास कर दिया गया है। उन्हें अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है।
साल 2003 से लैब तकनीशियन का डिप्लोमा हासिल कर बैठे सुनील कुमार ने प्रदेश सरकार से मामले में हस्तक्षेप करते हुए स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय को बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हजारों रुपए खर्च कर डिप्लोमा हासिल कर बैठे तकनीशियनों को भी रोजगार हासिल करने का मौका दिया जाए। विभाग के नए फरमानों से न केवल तकनीशियनों बल्कि उनके आश्रितों के भी भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। दूसरी ओर नए सृजित पदों में बैच वाइज भरे जाने वाले पदों में पैरा मेडकिल काउंसिल से संबद्ध डिप्लोमा होल्डर्स को भी कंसीडर किया जाए।