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लद्दाख में सैन्य बातचीत के बाद Indian Army ने कहा- सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल
Last Updated on July 16, 2020 by Deepak
लद्दाख। भारत और चीन (India and China) के बीच चौथे चरण की सैन्य बातचीत के बाद भारतीय सेना (Indian Army) ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने की प्रक्रिया ‘जटिल’ है और इसके लगातार सत्यापन की जरूरत है। लद्दाख (Ladakh) में बुधवार को कॉर्प्स कमांडर स्तर की करीब 15 तक तक चली लंबी बातचीत के बाद भारतीय सेना ने कहा कि भारत और चीन पूरी तरह सेना को हटाने के लेकर प्रतिबद्ध है। सेना ने कहा कि भारत और चीन सेना के वरिष्ठ कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने के पहले चरण के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की तथा क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी सुनिश्चित करने के लिए आगे के कदमों पर चर्चा की। गुरुवार को एक बयान में सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा, ‘भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेख पर बनी स्थिति के समाधान के लिए बने सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं।’
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कमांडरों के बीच चौथे चरण की वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सीमा के अंदर चुशुल में एक निर्धारित बैठक स्थल पर मंगलवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे शुरू हुई और बुधवार तड़के दो बजे तक चली। भारतीय सेना ने आगे कहा कि सैनिकों के बीच सिलसिलेवार बातचीत भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 5 जुलाई को पूरी तरह सैनिकों के हटाने पर बनी सहमति के अनुरूप थी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृतव लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जो लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लियु लिन ने किया, जो दक्षिण शिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं। इससे पहले 5 जुलाई को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर काफी विस्तार से तनाम कम करने को लेकर चर्चा की थी। बातचीत के पहले चरण के बाद चीनी सैनिकों ने फिंगर 4 से फिंगर 5 क्षेत्र में कदम वापस ले लिए। वे पहले ही गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और पैट्रोलिंग प्वाइंट -15 सहित अन्य विवादित स्थल में लगभग 2 किलोमीटर पीछे हट गए हैं। सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान आपसी मतभेद के कारण भारतीय पक्ष भी पीछे हट गया।