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कुल्लू। पार्वती जल विद्युत परियोजना के तृतीय चरण में पांच करोड़ रुपए खर्च कर भी टनल की लीकेज दुरूस्त नहीं हो पाई है। बिहाली की पहाड़ी में परियोजना की हेड-रेस टनल से फिर पानी का फव्वारा फूट पड़ा। हाल ही में तीन माह बिजली का उत्पादन बंद कर टनल की मरम्मत की गई है। दो माह पहले काम पूरा कर सिउंड डैम में पानी का भराव शुरू किया गया था। टनल में पानी भरते ही बिहाली की पहाड़ी से ही लीकेज शुरू हो गई थी।
देर शाम से यहां भारी मात्रा में पानी निकलना शुरू हो गया , ऐसे में परियोजना का संचालन कर रही कंपनी एनएचपीसी की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिंह लग गया है। 520 मेगावाट की इस परियोजना में 2016 से बिजली उत्पादन को रहा है। लेकिन शुरूआती दौर में ही टनल से रिसाव होने से सैंज घाटी की जनता और परियोजना प्रबंधन दोनों को चिंता में डाल दिया था। पांच माह पूर्व परियोजना प्रबंधन ने उत्पाद बंद कर टनल की मरम्मत का काम शुरू किया था। मरम्मत में कंपनी का करीब पांच करोड़ खर्च हुआ था। साथ ही बिजली उत्पादन से होने वाले करोड़ों के मुनाफे से सरकार और कंपनी को वंचित रहना पड़ा।
जानकारी के अनुसार बिजली उत्पादन बंद रहने से शेयर बाजार में भी एनएचपीसी का शेयर कमजोर हुआ था। कंपनी को बिजली उत्पादन में करीब 3.51 करोड़ इकाई और संयंत्र उपलब्धता फैक्टर में 6.9 फीसदी का नुकसान झेलना पड़ा है। कंपनी को केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग सीईआरसी द्वारा निर्धारित अंतरिम ठेके के आधार पर 24.04 करोड़ रुपए और सीईआरसी द्वारा ही अंतिम टैरिफ निर्धारण पर आधारित 30.14 करोड का नुकसान हुआ है। उधर, जनता ने भी परियोजना के कर्ताधर्ताओं को सवालों के घेरे में खडा कर दिया है। सियुंड से लारजी तक की पहाडियों के भीतर बनी आठ किमी लंबी टनल में बिहाली गांव के पास फिर रिसाव होने से ग्रामीणों ने सुरक्षा की गारंटी देने की आवाज उठाई है। टनल के भीतर सैंज नदी के पानी का बहाव डायवर्ट किया गया है। लारजी में भूमिगत पावरहाउस में बिजली का उत्पादन होता है।
परियोजना के प्रबंधक संदीप मित्तल ने बताया कि टनल से हो रही लीकेज से कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। पहले भी दो बार मरम्मत की जा चुकी है। अब फिर लीकेज होने के कारणों का अध्ययन किया जा रहा है। एनएचपीसी के महाप्रबंधक सीबी सिंह ने माना की पुख्ता कार्य करने के बावजूद टनल से फिर लीकेज हो रही है। भू-विज्ञानिकों ने लीकेज के मूल कारणों का पता लगाने के बाद ही बिजली उत्पादन बंदकर मरम्मत करवाई गई थी। इस पर पांच करोड़ खर्च हुए है। उन्होंने कहा कि जांच के लिए फिर विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई है।
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