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शिमला। आज हम सबकों चिंतन करने की आवश्यकता है कि हम सब कैसे अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण( Environmental pollution) से निपटने का हल ढूंढ सकते हैं। पर्यावरण परिवर्तन व ध्वनि प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। यह बात आज मुख्य सचिव अनिल कुमार खाची ने पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग हिमाचल प्रदेश, पर्यावरण व वन मंत्रालय जेआईजे के संयुक्त तत्वाधान् में होटल होली डे होम शिमला में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर क्षमताओं को संस्थागत बनाने के लिए क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर कही।
खाची ने कहा कि बताया कि जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें हिमालय में घटता हिमपात, सिकुड़ते हिमखंड तथा सूखते जल स्त्रोत, सेब की उपज में गिरावट, वर्षा के स्वरूप व अवधि में बदलाव तथा उनकी विविधता का घटना व उत्पादन क्षमता में गिरावट है। उन्होंने बताया कि नदी प्रणाली में अनियमित बाढ़ों तथा पानी के बढ़ते बहाव के कारण उसमें भरने वाली गाद का स्तर निर्धारित सीमा लांघ चुका है, इसकी वजह से भी जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत आवश्यक है ताकि जलवायु अनुकूलन/जोखिम रणनीति के ढांचे के भीतर विकास परियोजनाओं को पुनर्जीवित किया जा सके।उन्होंने बताया कि हमारे विकास का मॉडल ऐसा होना चाहिए जो हमारी प्राकृतिक धरोहर को संतुलित करें और विकास के क्षेत्र में लोगों की जो आशा व आकांक्षाएं होती है उसको ध्यान में रखते हुए प्रकृति को भी ध्यान में रखा जाए।
खाची ने कहा कि यह आज हम सबकों चिंतन करने की आवश्यकता है कि हम सब कैसे अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण का हल ढूंढ सकते हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण प्रदूषण में सिर्फ एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर एक विभाग की जिम्मेदारी है, इसलिए आज यहां इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को बुलाया गया है।उन्होंने हिमाचल प्रदेश जलवायु परिवर्तन प्रबंधन के लक्ष्य को उजागर किया, जिसमें हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन योजना को और सुदृढ़ किया जाएगा और इसमें जो कुछ कमियां रह गई है, उन्हें भी दूर किया जाएगा।इस कार्यशाला में अतिरिक्त सचिव रवि शंकर प्रसाद, सचिव पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी रजनीश, निदेशक पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी डी.सी. राणा तथा विभिन्न स्थानों से आए वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखें।
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