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Shimla में बोलीं आंगनबाड़ी कर्मीं-ICDS विरोधी है नई शिक्षा नीति, हो वापस
Last Updated on December 24, 2020 by Vishal Rana
शिमला। आंगनबाड़ी वर्कर्स (Anganwadi Workers) एवं हेल्पर्ज यूनियन संबंधित सीटू का एक प्रतिनिधिमंडल सामाजिक न्याय एवं महिला विकास विभाग के सचिव से मिला। उन्हें ग्यारह सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कर्मियों को मांगें पूर्ण करने का आश्वासन दिया। यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष नीलम जसवाल, कार्यकारी महासचिव वीना देवी व महासचिव राजकुमारी ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी वर्कर्स को प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त ना किया, आईसीडीएस का निजीकरण करने की कोशिश की गई व आंगनबाड़ी वर्कर्स को नियमित कर्मचारी घोषित ना किया तो आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग की है, क्योंकि यह ना केवल छात्र विरोधी है, अपितु आईसीडीएस (Integrated Child Development Services) विरोधी भी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आईसीडीएस (ICDS) के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। इससे भविष्य में कर्मियों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा।
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उन्होंने हिमाचल सरकार को साफ शब्दों में चेताया है कि कोरोना (Corona) महामारी के दौर में कोरोना मैपिंग के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रताड़ित करना बंद करें। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि बिना किसी बीमा योजना, बिना कोविड वॉरियर्स (Covid Warriors) के दर्जे व बिना किसी उचित सुविधा के आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकार जान बूझकर मौत के मुंह में धकेल रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह संवेदनहीनता व तानाशाही की चरम सीमा है। उन्होंने केंद्र सरकार से वर्ष 2013 में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए तीन हजार रुपये पेंशन, दो लाख रुपये ग्रेच्युटी, मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है। उन्होंने कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष करने, नई शिक्षा नीति 2020 को खत्म करने, मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर वेतन देने व कोविड महामारी में कर्मियों की ड्यूटी पर रोक लगाने आदि मांगों को पूर्ण करने की मांग की है।