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हिमाचल के नायक: आपदा में मसीहा बनकर 75 हजार लोगों की बचाई जान
शिमला। हिमाचल में 9 जुलाई से लगातार बारिश, भूस्खलन, बादल फटने और फ्लैश फ्लड (Rain, Landslide, Cloud Burst, Flash Flood) ने राज्य सरकार की समूची मशीनरी को बचाव के मोड में लाकर खड़ा कर दिया। भीषण चुनौतियों के बावजूद हिमाचल प्रदेश के इन नायकों ने मसीहा बनकर हफ्ते भर से भी कम समय में 75 हजार लोगों की जान बचाई। आज हिमाचल प्रदेश इन्हें सलाम करता है।
स्थिति की गंभीरता को देखते सीमए ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस बल, होम गार्ड, फायर ब्रिगेड, जिला प्रशासन और जनता के प्रतिनिधियों को तैनात कर दिया। उन्होंने स्वयं दिन-रात स्थिति पर नजर बनाए रखी और आपदा भरे अगले कुछ दिनों में अदम्य साहस का परिचय देते हुए लगभग 75 हजार पर्यटकों को रेस्क्यू कर नया इतिहास रचा।
मिशन चंद्रताल: 14,000 फीट की ऊंचाई, 4 फीट बर्फ, 300 से अधिक लोगों का रेस्क्यू
हिमाचल के इतिहास में इसे सबसे कठिन और साहसी बचाव अभियान (Most Courageous Rescue Operation) के रूप में याद किया जाएगा। चंद्रताल में 300 से अधिक लोग काजा से लगभग 86 किलोमीटर दूर 14,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर 4 फीट से अधिक बर्फ में 9 जुलाई को फंस गए थे। खराब मौसम के चलते हवाई मार्ग से रेस्क्यू में सफलता नहीं मिल पा रही थी। शुरुआत में एक नाबालिग सहित सात लोगों को एक हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया। इसके बाद, राज्य सरकार ने पुलिस, आईटीबीपी, आपदा मित्र स्वयंसेवी के दलों और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया। अगले कुछ दिनों में बचाव दाल ने कड़ी मेहनत और अद्भुत साहस का परिचय देते हुए संपर्क सड़क को बहाल कर दिया। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने अभियान के अंतिम चरण तक बचाव दल का नेतृत्व किया। उन्होंने चंद्रताल पहुंच कर यह सुनिश्चित किया प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षित वापसी हो। ऑपरेशन के दौरान बचाव दल को सूचित किया गया कि बाटल में 50 लोग फंसे हुए हैं। सन्देश मिलते ही उन्हें निकालने की पहल की गई और सभी को सुरक्षित काजा लाया गया। चंद्रताल में बचाव कार्य पांच दिनों तक चला और आखिरकार 13 जुलाई को सरकार ने उस वक्त राहत की सांस ली जब सभी फंसे हुए लोग सुरक्षित स्थानों पर लाये गए।
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सांगला: एयरलिफ्ट कर सुरक्षित आश्रयस्थल पहुंचाया
किन्नौर में सांगला (Sangla) और कड़छम को जोड़ने वाली सड़क के कुछ हिस्से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। 9 जुलाई को सांगला में लगभग 125 पर्यटक फंस गए। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था और भयानक बारिश के दौर की अभी शुरुआत ही थी। सरकार ने भारतीय वायु सेना (Indian Airforce) की मदद से बचाव अभियान आरम्भ किया, लेकिन खराब मौसम के चलते सभी असफल रहे। इस बीच अधिकारियों ने सांगला में लोगों को एक सुरक्षित स्थान पर ठहराने की व्यवस्था की और सुनिश्चित किया कि उनके पास आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त भण्डारण हो। चार दिन बाद यानी कि 12 जुलाई को जैसे ही मौसम थोड़ा अनुकूल हुआ प्रदेश सरकार ने वायुसेना की मदद से सभी लोगों को सुरक्षित आश्रयस्थल पहुंचाने के लिए एयरलिफ्ट किया।
गिरि नदी के तट से 5 को किया रेस्क्यू
एक अन्य घटना में 10 जुलाई को सिरमौर के नाहन में गिरि नदी के तट पर पांच लोग फंस गए थे। 24 घंटों के लम्बे इंतजार के बाद 11 जुलाई को इन्हें भारतीय सेना के हेलीकाप्टर द्वारा सुरक्षित निकाला गया। इस दौरान इन लोगों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन चौबीस घंटे सतर्क और उनसे संपर्क साधे रहा। ड्रोन की मदद से उन्हें चिकित्सा, भोजन और अन्य राहत सामग्री भी प्रदान की गयी। 9 जुलाई से 12 जुलाई, 2023 तक राज्य में हेलीकॉप्टर के उपयोग से लगभग 150 लोगों को बचाया गया।
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कोकसर: केरल के 27 छात्रों को किया रेस्क्यू
आपदा के बीच सरकार को केरल (Kerala) से सम्बन्ध रखने वाले चिकित्सा क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे 27 छात्रों के बारे में लाहौल-स्पीति के कोकसर में फंसे होने की सूचना प्राप्त हुई। इन छात्रों को मौसम की भीषण स्थिति से निपटने के अलावा पैसे की कमी का भी सामना करना पड़ रहा था। सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी और सभी को मनाली लाया गया। उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की गई। जैसे ही मौसम सामान्य हुआ, सड़क यातायात के लिए बहाल की गयी और प्रशासन द्वारा छात्रों को जिला मंडी भेजा गया। वहां से वॉल्वो बस के माध्यम से उन्हें दिल्ली पहुंचाया। इस दौरान सरकार ने बच्चों का पूरा ख्याल रखा, उनके भोजन, आवास और यात्रा का खर्च वहन किया और यह सुनिश्चित किया कि वे सुरक्षित केरल पहुंचें।
अंतरराष्ट्रीय पटल पर असाधारण नेतृत्व क्षमता की आभा
हिमाचल के इन प्रयासों को दुनिया भर में सराहा भी गया। विश्व बैंक ने आपदा में प्रभावी कदम उठाने के लिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के अनुकरणीय प्रयासों की सराहना की। एक सप्ताह की अवधि में इसी तरह के कई साहसिक बचाव कार्य देखने को मिले, जिसमें चंबा जिले में मणिमहेश और कुल्लू के श्रीखंड महादेव की यात्रा पर गए श्रद्धालु, कुल्लू स्थित पिन पार्वती ट्रेक और अन्य ट्रैकिंग मार्गों पर गए साहसिक पर्यटन के शौकीन और किन्नौर जिले के कारा दर्रा और विभिन्न मार्गों पर गए ट्रैकर्स को बचाने के अभियान शामिल थे। इसके अलावा आलू ग्राउंड, चुरुडू, हनुमानीबाग, सरवरी खड्ड, चंडीगढ़, बिहाल, पागल नाला, सिस्सू, पंडोह, नगवाईं और राज्य के विभिन्न जिलों के अन्य हिस्सों से हज़ारों लोगों को बचाया गया।