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शिमला। वन विभाग के कर्मचारी सरकार का हिस्सा हैं और उनका यह दायित्व बनता है कि विकास कार्य में तेजी लाने के लिए शीघ्र वन स्वीकृतियां प्रदान करें। उन्हें ऐसे मामलों में सकारात्मका रवैया अपनाना चाहिए। यह बात सीएम वीरभद्र सिंह ने 2017-18 की बजट प्राथमिकताओं को अंतिम रूप देने के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। सीएम ने समय पर कार्य पूरा न करने वाले ठेकेदारों को बदलने के निर्देश दिए। सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि विधायकों की प्राथमिकताओं को पूरा करने के तहत नाबार्ड द्वारा 470 करोड़ रुपये की राशि की विस्तृत परियोजना रिपोर्टों को स्वीकृति प्रदान की है। 1100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पहले ही नाबार्ड को स्वीकृति के लिए भेजी गई है।
सीएम ने कहा कि वह हमेशा ही विधायकों व उनकी विकासोन्मुखी प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए तैयार रहते हैं। सीएम ने कहा कि यह सुनिश्चित बनाया जाएगा कि कार्यान्वित की जा रही नई योजनाओं का सामाजिक ऑडिट किया जाए ताकि इसके फायदे व नुकसान के कारणों की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। इससे शुरूआत में ही सही करने का अवसर प्राप्त होगा और समय की भी बचत होगी। सीएम ने शिमला तथा कुल्लू में कार्यान्वित अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफोर्मेशन (अमृत) योजना, कौशल विकास योजना, मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप योजना तथा कई अन्य योजनाओं के सामाजिक ऑडिट पर बल दिया। उन्होंने सभी विकासात्मक परियोजनाओं को सुनियोजित समय सीमा के अंदर पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सदैव लोगों के कल्याण के लिए पारदर्शी, जवाबदेह तथा प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए कृत संकल्प है।उन्होंने कहा कि धर्मपुर-कसौली सड़क को चौड़ा किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने विभिन्न आकार की पानी की पाइपें खरीदने को भी कहा ताकि लोगों को पेयजल कनेक्शन उपलब्ध करवाए जा सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में 228 मुख्य पेयजल योजनाओं की समीक्षा की है और इसके लिए 50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 25 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने सिंचाई योजनाओं व हैंडपम्पों का सही रख-रखाव सुनिश्चित बनाने के निर्देश भी दिए।
शिमला। अगले वित्त के बजट में विधायकों की प्राथमिकताओं को शामिल करने को लेकर आज राज्य सचिवालय में विधायकों के साथ सरकार ने मंथन किया। इस दौरान विधायकों ने अपने-अपने हलकों की प्राथमिकताएं रखी। विधायकों ने सड़क, पानी, स्वास्थ्य के साथ-साथ अन्य मामलों पर भी बात रखी। बैठक में विपक्षी बीजेपी के सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा पिछले वर्षों में दी गई प्राथमिकताओं पर ही अभी तक कार्य नहीं हुआ है। इस बीच, सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि आज विधायक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करने को बैठक हुई। इसमें विधायकों ने अपने-अपने हलकों को लेकर अपनी प्राथमिकताएं रखी। उन्होंने कहा कि विधायकों की प्राथमिकताओं को बजट में शामिल किया जाता है और उन कार्यों को पूरा करने को बजट का प्रावधान किया जाता है। उनका कहना था कि केंद्र से हिमाचल को उनकी योजनाओं को पूरी मदद मिलेगी, इसकी उन्हें पूरी उम्मीद है।
डीपीआर तैयार करने में हो रही देरी को लेकर पूछे गए सवाल पर सीएम ने कहा कि पहले कुछ डीपीआर बनाने में देरी हुई थी, लेकिन अब इसमें तेजी लाई गई है। सरकार ने डीपीआर बनाने के कार्य को आउटसोर्स किया है। इससे डीपीआर बनाने के कार्य में तेजी आई है। उनका कहना था कि अब डीपीआर बनाने में तेजी आने से विधायक भी संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि आज बैठक में सड़क, स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा और आधारभूत संरचना पर विधायकों के साथ चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि विधायकों ने जो सुझाव दिए हैं, उन्हें नोट कर लिया गया है। उधर, आज बैठक में सरकार के अफसरों ने विधायकों की प्राथमिकताओं पर अपनी तरफ से सफाई दी, जिसे विपक्षी सदस्यों ने नकार दिया। विपक्षी सदस्यों का आरोप था कि जो प्राथमिकताएं उनके द्वारा दी गई हैं, उनको सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार डीपीआर बनाने में तेजी नहीं ला रही। इस कारण कार्य में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार से यह मांग की गई है कि डीपीआर तैयार करने में तेजी लाई जाए। आगामी वित्त वर्ष की वार्षिक योजना 5700 करोड़ रुपए की प्रस्तावित की गई है। सीएम वीरभद्र सिंह ने सचिवालय में विधायक प्राथमिकता निर्धारण बैठक में इसके संबंध में जानकारी दी।सीएम ने कहा कि इस वित्त वर्ष की वार्षिक योजना से यह 500 करोड़ रुपए अधिक है। जाहिर है कि इस वित वर्ष की वार्षिक योजना 5200 करोड़ रुपए की थी।
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