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नई दिल्ली/मैक्लोडगंज। निर्वासन में जीवन-यापन करने वाले तिब्बती स्टूडेंट्स पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (The Jawaharlal Nehru University) ने तगड़ा कुठाराघात किया है। जेएनयू ने तिब्बती स्टूडेंट्स (Tibetan students) को इस मर्तबा विदेशियों की कैटेगिरी में डालकर टयूशन फीस को लगभग बीस गुना बढ़ा दिया है। दरअसल जेएनयू ने विभिन्न कोर्सों के लिए आवेदन करने वाले विदेशी स्टूडेंट्स की फीस संरचना को संशोधित (Newly Revised Fee Structure) किया है। तिब्बती स्टूडेंट, जिनकी प्रवासी स्थिति पहले विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त थी, को नए संशोधित शुल्क ढांचे में छूट नहीं दी गई है। इस ट्यूशन शुल्क के इस संशोधन के चलते, तिब्बती स्टूडेंट के लिए वार्षिक ट्यूशन शुल्क (Annual Tuition Fee) पिछले वर्षों की तुलना में लगभग बीस गुना बढ़ गया है।
जेएनयू प्रशासन (JNU Administration) ने हालांकि, तिब्बती और सार्क स्टूडेंट के लिए संशोधित शुल्क संरचना की आधिकारिक घोषणा नहीं की। जून में जेएनयूईई (प्रवेश परीक्षा) के परिणाम घोषित होने के बाद, तिब्बती स्टूडेंट ने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन किया था, उसी से इस बात का पता चल पाया। नई फीस संरचना के परिणामस्वरूप तिब्बती स्टूडेंट्स के लिए शिक्षण शुल्क में अत्यधिक वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिएए मानविकी में पाठ्यक्रम जो पिछले वर्ष सालाना $ 200 ($ 100 per semester), को प्रति वर्ष $ 2400 तक बढ़ा दिया गया है।
विश्वविद्यालय में विज्ञान पाठ्यक्रम लगभग $ 3000 प्रति वर्ष ($ 1500 per semester) तक बढ़ गया है। विश्वविद्यालय में दाखिला लेने वाले तिब्बती स्टूडेंटृस ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मानदंडों के इस संशोधन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। दलाई लामा ब्यूरो कार्यालय (The office of the bureau of The Dalai Lama) ने भी इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन उन्हें सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
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