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हिसार। आर्मी कैंट से करीब एक किलोमीटर दूर बसे सातरोड कलां गांव में एंटी टैंक गोले मिलने से इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। इन गोलों को आरपीजी-7 राउंड बताया जा रहा है। यह बेहद घातक होता है। बताया जाता है कि इस तरह के गोले का इस्तेमाल आमतौर पर आतंकी (Terrorist) करते हैं। इससे सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। मामले की जांच की जा रही है। यदि ये गोले फट जाते तो करीब आधे किलोमीटर क्षेत्र में भारी तबाही हो सकती थी। कई बार हिसार सैन्य छावनी के आतंकियों के टारगेट पर होने के इनपुट मिले हैं। ऐसे में यह मामला बेहद संवेदनशील हो गया है।
जानकारी के अनुसार गुरुवार को गांव के 32 वर्षीय सुखदर्शन गांव के तालाब के पास गया था। वहां उसे बम की तरह दिखने वाले एंटी टैंक गोले दिखे तो उसने शोर मचा दिया। इसके बाद ग्रामीण और सरपंच प्रमोद कुमार मौके पर पहुंच गए। सूचना मिलते ही सेना और पुलिस ने मौके पर पहुंच गई। इन एंटी टैंक गोलों को तालाब के किनारे मिट्टी में दबाकर ऊपर से ईंटों से ढका गया था। इसके बाद सेना और पुलिस (Army and police) ने साथ मिलकर तालाब के आसपास सर्च अभियान (Search campaign) चलाया, लेकिन वहां कोई अन्य विस्फोटक नहीं मिला। इसके बाद हिसार और सिरसा से बम निरोधक दस्ता वहां पहुंचा।
सेना के रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार एंटी टैंक राउंड का इस्तेमाल टैंक, बख्तर बंद गाडिय़ों और बंकरों को उड़ाने में किया जाता है। राउंड हथियार का वह भाग है जो निर्धारित टारगेट पर जाकर विस्फोट (Blast) करता है। पहले में भारतीय सेना में ऐसे राउंड प्रयोग होते थे। आरपीजी-7 हथियार और बीएमपी टैंक से जो मिसाइलें दागी जाती हैं, उनके विस्फोटक भाग को राउंड कहा जाता है। पूर्व सैन्य अधिकारियों ने दावा किया कि यदि यह एंटी टैंक राउंड फट जाते तो आधा किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचती। जिस स्थान से यह एंटी टैंक राउंड मिला है वहां से कुछ ही दूरी पर सातरोड का रेलवे स्टेशन है, जहां से सेना के हथियार व सामान आता-जाता है। इसके अलावा सातरोड क्षेत्र में सेना के पूर्व अधिकारी व कर्मचारियों की कालोनियां भी हैं।
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