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शिमला। भले ही आम लोगों के लिए अबकी बार बर्फ सफेद आफत बनी हो, लेकिन बागवानों के लिए यह किसी बिन मांगी मुराद के पूरा होने जैसी है। ऊपरी शिमला की बात करें तो यहां अभी भी कई इलाके ऐसे हैं जहां सेब के बागान पूरी तरह से बर्फ से ढके हुए हैं।
पिछले वर्ष कम नमी और बर्फ़बारी के चलते काम सेब की पैदावार कुछ कम हुई थी, लेकिन इस बार यह बर्फ़बारी किसानों एवम बागवानों के लिए एक बंपर फसल की उम्मीद लेकर आई है।
सेब के बगीचों में 1200 से 1700 घंटे नमी (चिल्लिंग ऑवर) की जरूरत होती है जो कि इस वर्ष ऊपरी इलाकों में बर्फ तथा निचले इलाकों में बारिश पूरा कर देगी। बागवानों को इस साल उम्मीद है कि प्रदेश में सेब की फसल एक नई उम्मीद लेकर आएगी। जिला शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर तथा सिरमौर जिलों में औसतन करीब 6 लाख मीट्रिक टन फसल होती है। पिछले करीब एक दशक से न तो अच्छी बर्फ़बारी हुई और न ही बढ़िया फसल। इस बार मौसम के मिजाज ने बागवानों को झूमने पर मजबूर कर दिया है। साथ ही बर्फ की सौगात इस बार पर्यटन कारोबारियों के लिए भी राहत से कम नहीं है। नए साल से शुरू हुआ कमाई का धंधा अभी भी जारी है। पड़ोसी राज्यों से बर्फ से अठखेलियां करने के लिए शिमला के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
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