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शस्त्र लाइसेंस को Status Symbol के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं: हाईकोर्ट
Last Updated on October 7, 2020 by Deepak
शिमला। शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल (Status Symbol) के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट (High Court) ने संबंधित अधिकारियों को सभी तरह के शस्त्र लाइसेंसों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने एक व्यक्ति द्वारा उसके दो शस्त्र लाइसेंस (Arms License) रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए उक्त आदेश दिए। अदालत ने निर्देश दिया कि आवेदक का सशस्त्र अधिनियम और नियमों के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करने की स्थिति में कोई शस्त्र लाइसेंस प्रदान या नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने पिछले शस्त्र लाइसेंस के बारे में खुलासा किए बिना, एक और शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया और प्राप्त कर लिया।
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खंडपीठ ने कहा कि आवेदन फॉर्म में एक विशिष्ट कॉलम नंबर 10 (ए) को आवेदक, यदि शस्त्र लाइसेंस के लिए दूसरी बार आवेदन किया गया है, को पिछले शस्त्र लाइसेंस के विवरण देने के लिए दिया गया है। लाइसेंस रद्द करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मामला लाइसेंस जारी करने के संबंध में जारी किए गए अधिनियम / नियमों/निर्देशों के प्रावधानों के अनुपालन की पुष्टि किए बिना आवेदकों के मांगते ही शस्त्र लाइसेंस जारी करने का संकेत है। कोर्ट ने कहा, “आर्म्स एक्ट कानून और व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता के साथ नागरिकों के अधिकारों के बीच समन्वय करता है। आग्नेयास्त्रों को असामाजिक तत्वों के कब्जे में नहीं दिया जाना चाहिए। शस्त्र लाइसेंस दिए जाने पर अधिक सतर्कता की आवश्यकता है।शस्त्र लाइसेंस को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। रिट याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट (Court) ने कहा, “इसलिए, अदालत यह आदेश देती है कि यदि आवेदक अधिनियम के तहत निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं करता है या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए किसी भी निर्देश को पूरा नहीं करता है तो इस मामले में आवेदक को कोई भी शस्त्र लाइसेंस प्रदान या नवीनीकृत नहीं किया जाएगा। हम राज्य में सभी लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी निर्देश देते हैं कि वे उपरोक्त मापदंडों की कसौटी पर दिए गए सभी शस्त्र लाइसेंसों की समीक्षा करें और जहां भी आवश्यक हो, कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करें। यह कार्रवाई चार महीने की अवधि के भीतर पूरा करने के आदेश दिए है।
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