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मंडी। हिमाचल की मंडी रियासत (Mandi Principality) के अंतिम राजा अशोक पाल सेन (Last King Ashok Pal Sen) का मंगलवार को निधन हो गया। वह करीब 91 साल के थे और अस्वस्थ चल रहे थे। पिछले एक सप्ताह से वह अस्वस्थ थे और मांडव अस्पताल (Hospital) में उपचाराधीन थे। राजा अशोक पाल सेन का अंतिम संस्कार कल किया जाएगा। अशोक पाल सेन पूर्व सांसद महेश्वर सिंह (Former MP Maheshwar Singh) के बहनोई थे। वह मंडी के अंतिम राजा थे और राजा जोगिंद्रसेन के पुत्र थे। अंतिम राजा होने के चलते वह मंडी में बहुत ही लोकप्रिय थे। उनके निधन से छोटी काशी शोक में डूब गई है। बता दें कि अशोकपाल का जन्म वर्ष 1931 में हुआ था। उन्होंने लाहुल (Lahul) में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। बता दें कि 16वीं सदी की शुरुआत में मंडी अलग राज्य के रूप में उभरा था। अजबर सेन ने 1527 ईस्वी में मंडी शहर की स्थापना की थी। राजा अशोक पाल सेन भी इसी वंश के आखिरी राजा थे।
भारत की स्वतन्त्रता तक मंडी और सुकेत रियासत भारत सरकार के राजनीतिक नियंत्रण में रहे। हिमाचल प्रदेश राज्य के अस्तित्व में आने के बाद मंडी का वर्तमान जिला 15 अप्रैल 1948 को दोनों रियासतों मंडी और सुकेत के विलय के साथ गठित किया गया। राजा अशोक पाल के निधन की खबर सुनते ही शिवरात्रि से जुड़े देव समाज में भी शोक की लहर दौड़ गई है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव (International Shivaratri Festival) में अब एक माह से भी कम समय रह गया है और ऐसे में राजा के निधन का असर शिवरात्रि महोत्सव पर पड़ सकता है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि महोत्सव शुरू होने पर सभी देवता सबसे पहले माधोराय के दरबार में हाजिरी लगाते हैए जिसके तुरंत बाद सभी देवी-देवताओं को राज दरबार में भी हाजिरी लगानी पड़ती है। यहां पर देवी.देवताओं का स्वागत राजा की ओर से किया जाता हैए लेकिन इस बार राजा के निधन से हर साल यहां पर उनका आशीर्वाद लेने वाले देवलु भी जरूर मायूस होंगे।
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