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आश्रय का दावा- इंदिरा गांधी, पंडित सुखराम और कांग्रेस के प्रयासों से बनी Rohtang Tunnel
Last Updated on September 30, 2020 by Vishal Rana
मंडी। अटल रोहतांग टनल करीब 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद बनकर अब पूरी तरह से तैयार है। शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं। इसी बीच अटल रोहतांग टनल को लेकर राजनीति भी गर्माने लगी है। पूर्व की यूपीए (UPA) सरकार में आधारशिला रखने के बाद मौजूदा की एनडीए (NDA) सरकार में इस टनल का उद्घाटन होने के कारण दोनों दलों में इसका श्रेय लेने की होड़ मच गई है, लेकिन इसी बीच मंडी संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे आश्रय शर्मा (Ashraya sharma) ने इस टनल निर्माण का श्रेय अपने दादा यानी पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम (Pandit Sukhram) को दे दिया है। आश्रय शर्मा ने दावा किया है कि अटल टनल रोहतांग (Atal Tunnel Rohtang) के निर्माण का श्रेय पूर्व पीएम स्व. इंदिरा गांधी, पूर्व मंत्री पंडित सुखराम और कांग्रेस पार्टी की सोच को जाता है।
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मंडी से जारी बयान में आश्रय शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया पर बीजेपी नेता अटल टनल के निर्माण का इस तरह से श्रेय लेने में जुटे हैं जैसे यह टनल बीजेपी की सरकार ने ही बनाई हो। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में बीजेपी और हिविकां के गठबंधन वाली सरकार थी तो उस वक्त पंडित सुखराम ने मनाली में तत्कालीन पीएम स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से मिलकर लाहुल स्पीति (Lahaul Spiti) के लिए टनल निर्माण की मांग रखी थी। पीएम ने तत्कालीन सीएम प्रो. प्रेम कुमार धूमल और पंडित सुखराम के साथ लाहुल जाकर इसकी आधारशिला भी रखी थी। पूर्व की यूपीए सरकार ने इस टनल के निर्माण कार्य को शुरू करवाया और धन भी मुहैया करवाया, लेकिन आज ना तो कहीं पंडित सुखराम का जिक्र किया जा रहा है और ना ही कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का। बीजेपी नेता इसका झूठा श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो बातें वह कह रहे हैं लोग इसकी जानकारी आरटीआई के माध्यम से भी ले सकते हैं।
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आश्रय शर्मा का कहना है कि पंडित सुखराम ने संचार राज्य मंत्री रहते न सिर्फ देश और प्रदेश में बल्कि जनजातिय क्षेत्रों में भी संचार क्रांति लाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मंडी संसदीय सीट से बतौर सांसद उनका जनजातिय क्षेत्रों के प्रति विशेष लगाव रहा। आज बीजेपी इस टनल का श्रेय लेने की होड़ में है और पंडित सुखराम का कोई जिक्र तक नहीं कर रहा, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है।
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