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नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलियाई अखबारों (Australian newspapers) ने प्रेस पर पाबंदियों (restrictions on press) के खिलाफ सोमवार को पहले पन्ने पर काली लकीरें (black lines) छापीं। यह विरोध राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों को लेकर है जिसपर पत्रकार रिपोर्टिंग का दमन करने और ‘गोपनीयता की संस्कृति’ बनाने का आरोप लगा रहे हैं। सरकार ने कहा कि वह प्रेस की आज़ादी का समर्थन करती है लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। बताया गया कि टीवी चैनल भी इस अभियान का हिस्सा बने हैं। इनमें चल रहे विज्ञापनों में दर्शकों से पूछा जा रहा है कि जब सरकार आपसे सच्चाई छिपा रही है, तो आखिर यह सच्चाई है क्या? एकबारगी तो अखबार को देखकर लोग सोच में पड़ गए मगर बाद में उनको पहले पन्ने की सारी खबरें अंदर के पन्नों पर पढ़ने को मिली।
Every time a government imposes new restrictions on what journalists can report, Australians should ask: 'What are they trying to hide from me?' – Why I've taken a stand against increasing government secrecy in Australia https://t.co/BQek4KvKyB #righttoknow pic.twitter.com/cpXJEvz7pj
— Michael Miller (@michaelmillerau) October 20, 2019
ऑस्ट्रेलिया में हुई इस घटना ने भारत में लगी 1975 की इमरजेंसी की याद दिला दी। साल 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा की थी, उस दौरान भी अखबारों पर अंकुश लगाया गया था। बता दें कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की एक कोर्ट ने मीडिया को यौन शोषण के दोषी कार्डिनल (पादरी) जॉर्ज पेल के बारे में रिपोर्ट छापने से रोक दिया था। इसके चलते ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने पेल का नाम छापे बिना ही उनके दोषी पाए जाने की खबरें चलाई थीं। जबकि, विदेशी मीडिया ने कार्डिनल का पूरा नाम छापा था। इसके कुछ ही दिनों बाद पुलिस ने ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) मीडिया ग्रुप के संपादक के घर पर छापा मारा था। उन पर राष्ट्रीय महत्व की गुप्त जानकारी रखने का आरोप लगा था। इसी के बाद मीडिया ग्रुप्स ने एकजुट होकर यह अभियान शुरू किया।
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