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सुंदरनगर। डोडवा स्थित साकार स्कूल(Sakar school) के विशेष बच्चों (Special Children) को खुद पर आत्मनिर्भर बनाने के संस्थान पिछले 11 साल से लगातार प्रयास कर रहा है और अब बच्चे धीरे-धीरे आत्मनिर्भर होने लग गए हैं। संस्थान के बच्चों को जीने की कला के साथ-साथ परिवार की रोजी रोटी के लिए कई प्रोजेक्ट (Project) शुरू करवाए गए हैं। प्रोजेक्ट के तहत रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीजें तैयार कर बाजारों में बेचीं जाएंगी। वस्तुओं को बाजारों में बेच कर बच्चे अपने परिवार व संस्थान के अन्य बच्चों की सहायता कर सकेंगे।
कुछ समय पहले बच्चों द्वारा मोमबतियां बनाकर बाजारों में बेचीं गई, लेकिन अब बच्चों द्वारा बाजार से पॉलीथिन को खत्म करने व पर्यावरण (Environment) को स्वच्छ रखने की मुहीम को आगे बढ़ाते हुए कपड़े के हैंड बैग (Hand Bag) बनाने की मुहिम शुरू की गई है। अब साकार स्कूल के बड़े बच्चे कपड़े के बैग बना कर बाजारों में बेचेंगे, ताकि संस्थान के अन्य बच्चों के खर्चे के साथ अपने परिवार का गुजारा कर सकें।
स्कूल के बड़े बच्चे हर रोज 200 से अधिक कपड़े के बैग (Cloths Bag) बना रहे हैं। जानकारी देते हुए साकार स्कूल की अध्यक्ष शीतल शर्मा में कहा कि स्कूल के बच्चों द्वारा नई शुरुआत की गई है। बच्चों द्वारा कपड़े के थैले बनाए जा रहे हैं। 16 साल से 25 साल की उम्र के कई बच्चों की अकेडमिक क्षेत्र में प्रोग्रेस नहीं हो पा रही है, जिन्हें वोकेशनल साइड (Vocational Side) पर डाला गया है। पिछले दो महीने के लगातार प्रयास से आज बच्चे कपड़े के बैग बनाना सिख चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि बाजारों में बिकने वाला पॉलीथिन पूरी तरह से बंद हो और पर्यावरण स्वच्छ रहे। शीतल शर्मा ने लोगों से अपील की है कि बच्चों द्वारा बनाए गए बैग को खरीद कर इनका इस्तेमाल करें, ताकि बच्चे खुद पर आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का गुजारा कर सके।
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