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मंडी। हिमाचल (Himachal) में शिवरात्रि महोत्सव (Shivratri Festival) को देव समागम कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है। देव समाज में देवताओं के वाद्य यंत्रों का विशेष महत्व है। मान्यता है कि बिना वाद्य यंत्रों के देवता के कोई भी कारज शुरू नहीं होते हैं। इसलिए इस परम्परा को आज भी कायम रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। मंडी के रात्रि महोत्सव में बजंतरियों के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है।
इस प्रतियोगिता में जिला भर के देवी-देवताओं के बजंतरी अपने-अपने देवताओं के पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाते हैं। प्रतियोगिता में जिला भर से 123 बजंतरी हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा देवलु नाटी का आयोजन भी किया गया है। देवलू नाटी में 23 टीमें भाग ले रही हैं। प्रतियोगिताओं के फाइनल मुकाबले 27 फरवरी को मंडी के कालेज परिसर के कला मंच पर होंगे।
सर्व देवता समिति के प्रधान शिवपाल शर्मा ने बताया कि बजंतरियों को राज्य स्तर पर मंच प्रदान करने की दिशा में प्रयास जारी हैं। भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से समिति को जानकारी मिली है कि मंडी शिवरात्रि में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बजंतरियों को राज्य एवं राष्टीय स्तर पर वाद्य यंत्रों को बजाने का अवसर मिलेगा। शिवपाल शर्मा ने बताया कि वाद्य यंत्रों की परंपरा को जीवंत रखने के लिए प्रदेश सरकार और प्रशासन की ओर से प्रयास जारी हैं।
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