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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय नौसेना भी पूरी तरह तैयार थी। नौसेना ने सागर में पाकिस्तान की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पाकिस्तानी जल सीमा के पास अपनी पनडुब्बी सहित अस्त्र-शस्त्र तैनात कर दिए थे। भारत की ओर से तैनाती देखकर पाकिस्तान को ऐसा आभास हो रहा था कि भारत आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा पुलवामा में किए गए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए अपनी नौसेना को आदेश दे सकता है। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि भारत पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए था। जब भारतीय वायु सेना ने बालाकोट स्थित जैश के ठिकानों पर हवाई हमला किया तो पाकिस्तान ने अपनी आधुनिक माने जाने वाली अगोस्टा क्लास सबमरीन्स “पीएनएस साद” को पाकिस्तानी जलीय क्षेत्र से हटा लिया था। पीएनएस साद में ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्सन’ लगा होता है, जो ऐसी तकनीक है जिससे यह पनडुब्बी आम पनडुब्बी के मुकाबले अधिक समय तक पानी में रह सकती है। इस पनडुब्बी की तलाश के लिए पूरी भारतीय नौसेना जुट गई थी।
सूत्र ने बताया कि कराची के पास का स्थान जहां से पीएनएस साद गायब हुई, वहां से वह तीन दिनों में गुजरात तट और पांच दिनों के भीतर मुंबई में पश्चिमी बेड़े के मुख्यालय तक पहुंच सकती थी। इससे देश की सुरक्षा के लिए काफी बड़ा खतरा दिख रहा था। पनडुब्बी रोधी विशेष युद्धपोत और विमान लापता पाकिस्तानी पनडुब्बी की तलाश में मदद लिए तैनात किए गए। वे सभी क्षेत्र जहां इस समयसीमा के भीतर पनडुब्बी जा सकती थी, वहां भारतीय नौसेना ने व्यापक तलाश की। पी-8 आईएस को महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के बाद गुजरात के तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बी का पता लगाने के लिए सेवा में लगाया गया था। नौसेना द्वारा सभी एहतियाती उपाय किए गए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीएनएस साद भारतीय जल में भले ही प्रवेश कर गई हो, लेकिन उसे सतय पर आने के लिए बाध्य किया जा सके। परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्रा को भी पाकिस्तानी जलीय क्षेत्र के पास तैनात किया गया था और लापता पाकिस्तानी पनडुब्बी की तलाश जारी रखने के निर्देश दिए गए।
भारतीय नौसेना की नवीनतम आईएनएस कलवारी पनडुब्बी को भी तलाश के लिए तैनात किया गया था। बाद में खोज का ये दायरा और बढ़ाया गया। सेना ये समझ चुकी थी कि पाकिस्तान ने पनडुब्बी को कहीं और छिपाकर रखा हुआ है। करीब 21 दिनों तक चली तलाश के बाद भारतीय सेना को पता चला कि पीएनएस साद पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से में है। इसे वहां छुपने के लिए भेजा गया था। सूत्रों का कहना है कि नौसेना ने अरब सागर, विशेष रूप से पाकिस्तानी जल की पूरी निगरानी की, और इस क्षेत्र में पाकिस्तान की नौसैनिक गतिविधियों पर भी नजर रखी। तनाव बढ़ने पर नौसेना ने 60 से अधिक युद्धपोतों को तैनात किया था, जिसमें विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी शामिल था।
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