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नई दिल्ली। किसानों को कर्ज देकर डूबे मध्यप्रदेश के बैंकों ने एक बड़ा ऐलान किया है। मध्यप्रदेश में बैंकों ने रबी सीजन में किसानों को कर्ज देने से मना कर दिया है। वोट बैंक की राजनीति ने 12 जिलों की केंद्रीय सहकारी बैंकों को तालाबंदी की कगार पर ला दिया है। रबी सीजन में किसानों को 2000 करोड़ का कर्ज बांटा जाना है। इसमें 1200 करोड़ नाबार्ड और 800 करोड़ राज्य सरकार को देना है, लेकिन अब तक सहकारी बैंकों को यह राशि नहीं मिली है। सहकारिता बैंकों ने राज्य सरकार से 4000 करोड़ रुपए की मांग की है, लेकिन वित्त विभाग ने सरकारी खजाने की खराब हालत बताकर इसे रोक दिया है।
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प्रदेश में कुल 38 सहकारी बैंकों में से 12 की हालत पूरी तरह से खस्ताहाल है जिसकी वजह से ये बैंक रबी फसल के लिए कर्ज नहीं बांट रही हैं। इन बैंकों को दतिया में 86 करोड़,ग्लालियर में 35 करोड़ और रीवा में 78 करोड़ का नुकसान हुआ है। बैंकों की माने तो मप्र के और भी राज्यों में बैंकों को इतना ही नुकसान हुआ है।
चुनाव के ठीक पहले बीजेपी सरकार ने किसानों को जमकर पैसा बांटा था। चुनाव की वजह से सरकार ने बैंकों पर कर्ज वसूली की रोक लगा दी थी। यहां तक कि सभी 38 सहकारी बैंक समर्थन मूल्य की खरीदी का पैसा भी किसानों के खातों से नहीं काट पाए। इस दौरान किसानों ने भी बैंकों को कर्ज चुकाना बंद कर दिया था। बाद में कर्जमाफी के चलते किसानों ने पैसा नहीं चुकाया।
अपेक्स बैंक की जिला शाखाओं में डिफॉल्टर किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। अब हालत ये है कि अपेक्स बैंक का 940 करोड़ रुपया इस डिफॉल्ट के दायरे में है। चुनावी चक्कर में पिछले चार महीनों से रिकवरी ठप है। जिसके कारण बैंकों पर धीरे-धीरे बोझ बढ़ता चला गया।
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