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नई दिल्ली। चीन के वुहान से तबाही का सिलसिला शुरू कर पूरी दुनिया भर में हजारों लोगों की जान लेने वाले कोरोन वायरस संक्रमण के करीब 300 मामलों की भारत में भी पुष्टि हो चुकी है। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार के दिन सुबह 7 बजे से शाम 9 बजे तक लोगों को अपने-अपने घरों में रहने की अपील की है। पीएम ने इसे जनता कर्फ़्यू का नाम दिया है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने लोगों को से घर-घर दूध, अखबार, राशन पहुंचाने वालों, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्य कर्मी और पत्रकारों का आभार जताने की अपील की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का आभार जताने के लिए 22 मार्च की शाम 5 बजे घर की बालकनी या गेट पर आकर शंख, ताली, घंटा-थाली बजाएं। पीएम द्वारा लोगों से ताली बजाने का अनुरोध किए जाने पर विपक्षी दलों ने इस पर तंज़ भी कसा है, लेकिन अब इससे जुड़े कुछ वैज्ञानिक फायदे भी सामने आए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मारे हाथों में एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स (Acupressure Points) अधिक होते हैं। ताली बजाने के दौरान हथेलियों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर अच्छा दबाव पड़ता है, जिससे हृदय (Heart) और फेफड़ों (Lungs) की बीमारियां में फायदा पहुंचता है। हमारे शरीर के 30 से ज्यादा एक्यूप्रेशर पॉइंटस हथेलियों में ही होते हैं। प्रेशर पॉइंट को दबाने से उससे कनेक्टेड अंग तक रक्त (Blood) और ऑक्सीजन (Oxygen) का संचार अच्छे से होने लगता है। इन सभी दबाव बिंदु को सही तरीके से दबाने का सबसे आसान तरीका ताली बजाना ही है।
हथेली पर दबाव तभी अच्छा माना जाता है जब ताली बजाते-बजाते (Clapping) हथेलियां लाल हो जाएं और शरीर से पसीना आने लगे। ताली बजाने से हमारे नर्वस सिस्टम (Nervous System) पर असर पडता है और इम्युनिटी (Immunity) बेहतर होती है। वहीं, घंटा-घंटी, थाली बजाने से मंत्र के उच्चारण (Chanting) जैसा प्रभाव होता है। ये भी हमारे नर्वस सिस्टम को अच्छा महसूस कराकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। वहीं, शंख (Conch) बजाने से हमारे रिसेपिरेटरी सिस्टम (Respiratory System) की एक्सरसाइज होती है। ये सभी चीजें कोरोना वायरस से मुकाबले में मददगार साबित हो सकती हैं।
वहीं दूसरी तरफ घंटा और थाली बजाने से शरीर को होने वाले फायदों के वैज्ञानिक प्रमाण तो मौजूद नहीं हैं, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण हैं। हालांकि, इसका फायदा लेने के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति एक ही समय पर एक ही आकार के घंटे और थाली बजाए, जो संभव नहीं है। इसके अलावा ऊं के उच्चारण से मानव शरीर को होने वाले फायदों को विज्ञान भी स्वीकार कर चुका है। हालांकि, इसमें भी समूह में उच्चारण करने पर सभी का आरोह-अवरोह यानी एक जैसा उच्चारण होना चाहिए।
इसके अलावा आयुर्वेद (Ayurveda) में ताली, घंटी, घंटा बजाने के महत्व की जानकारी दी गई है। शंख की ध्वनि से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले वायुमंडल में फैले अति सूक्ष्म किटाणु नष्ट हो जाते हैं,। वहीं, इससे सांस की बीमारियों में भी फायदा मिलता है। शंख बजाने से योग में बताए गए पूरक, कुंभक और प्राणायाम एक साथ हो जाते हैं। आपको बता दें कि पूरक सांस लेने, कुंभक सांस रोकने और रेचक सांस छोडऩे की प्रक्रिया है। कोरोना वायरस हमारे श्वसन तंत्र को ही नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में शंख बजाने से आप संक्रमण से मुकाबले के लिए तैयारी कर लेते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक अगर आपको खांसी, दमा, ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो शंख बजाकर कुछ हद तक इससे छुटकरा पाया जा सकता है। वहीं, शंख में प्राकृतिक कैल्शियम और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। रोज शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं हो सकते। शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र और फेफड़ों का व्यायाम भी हो जाता है। इससे आप वायरस से बच जाएंगे इसकी तो कोई गारंटी नहीं है, लेकिन मुकाबले के लिए तैयार हो सकते हैं।
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