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Election mode: शिमला। विधानसभा के चुनाव से पहले प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी-अपनी तैयारियां कर रहे हैं। इस कड़ी में फिलवक्त बीजेपी आगे लगती है। बीजेपी को सत्ता में आने की जल्दी है, वहीं सत्ताधारी कांग्रेस अभी फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है और धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए अपने मिशन रिपीट की तरफ बढ़ रही है। सत्ता पाने को बीजेपी ने जहां पार्टी में पैदा हो रही खाई को भरने का प्रयास किया है, वहीं नए प्रभारी की भी तैनाती कर दी है, लेकिन कांग्रेस ऐन चुनाव के वक्त अपने संगठनात्मक चुनावों में उलझने वाली है। रही बात, उनकी प्रभारी अंबिका सोनी की तो उनके दर्शन तो वैसे ही बिरले ही होते हैं और अब आखिर उम्र का हवाला देकर वह इस प्रभारी पद से छुटकारा चाहती हैं।
चुनाव के वक्त सभी स्थानीय नेता अपने-अपने हलकों में व्यस्त होते हैं और ऐसे में सारा दारोमदार प्रभारियों पर आ जाता है। बीजेपी के यहां जो-जो भी प्रभारी रहे हें, उन्होंने यहां पर आकर संगठन के कामकाज की निचले स्तर तक समीक्षा करने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में जोश भरा है। मोदी-शाह की जोड़ी से मिल रही सफलता से बीजेपी में वैसे ही माहौल आक्रामक है और यहां पर परिवर्तन के लिए रैलियों और बैठकों का दौर लगातार जारी है। बीजेपी के पुराने प्रभारी श्रीकांत शर्मा के उत्तर प्रदेश में मंत्री बनने के बाद बीजेपी ने तुरंत इस स्थान को भऱते हुए बिहार बीजेपी के नेता मंगल पांडे को नया प्रभारी बनाया है। मंगल पांडे बिहार बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं और तेज तर्रार हैं और ऐसे में वह बीजेपी को अपनी तेज रफ्तार से चलाएंगे।
उधर, सत्ताधारी कांग्रेस में स्थिति इसके उलट हैं। यहां पर बनाए गए संगठन के प्रदेश प्रभारी की तो दौरा ही नहीं होता है। कभी-कभार दौरे पर निकले तो निकले, नहीं तो संगठन के राष्ट्रीय सचिवों से रिपोर्ट लेकर काम चलाया जा रहा है और बाकी रिपोर्ट प्रदेश के नेताओं से दिल्ली में मुलाकात कर तैयार की जाती रही है और वहीं फीडबैक लेकर आगे रिपोर्ट भेजी जाती रही है। इससे यहां न तो संगठन में कार्यकर्ताओं में जोश भरा जा पा रहा है और न ही संगठन की कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
यहां कांग्रेस की हालत ऐसी है कि जो प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किया वही सब कुछ है। पीसीसी को एआईसीसी से जो संगठन का ऐजेंडा आता है उसके मुताबिक बैठकें कर इतिश्री की जाती रही है। ऐसे में अब कांग्रेस भी महसूस कर रही है कि राज्य को भी ऐसे प्रभारी चाहिए जो यहां डेरा डालकर रहें और ब्लाकों में जाकर बैठकें करें और सीधे बूथों पर जाकर कार्यकर्ताओं से मुलाकात करें। यहां अब कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता तेज तर्रार प्रभारी ही चाह में है क्योंकि वे तेज प्रभारी का प्रभाव पंजाब में देख चुके हैं।
पंजाब में प्रदेश कांग्रेस की नेता और राष्ट्रीय सचिव आशा कुमारी पंजाब की प्रभारी थीं और उन्होंने पंजाब के कोने-कोने में जाकर संगठन के कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया। इसे देखते हुए अब यहां के कांग्रेस नेता भी चाह रहे हैं कि यहां भी इस तरह के नेता को भेजे जाएं। इससे यहां गुटबाजी भी रुकेगी और संगठन भी और सक्रिय होगा। ऐसे में अब नजरें इस पर टिकी हैं कि कब कांग्रेस हाईकमान हिमाचल के प्रभारी के रूप में किसी तेज-तर्रार नेता को तैनात करे।
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