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शिमला। प्रदेश के पूर्व सीएम को राजनीतिक दलों से संबद्धता दर्शाती अलग-अलग रंगों की टोपियों का प्रयोग करने जैसी भ्रामक बयानबाजी करने से बचना चाहिए। वीरभद्र सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को इस प्रकार की बयानबाजी करना शोभा नहीं देता है, जबकि वह स्वयं टोपियों के रंगों को लेकर भेदभाव करते रहे हैं। इसके उदाहरण वे पीटरहॉफ में उनके अपने ही वरिष्ठ मंत्री द्वारा उन्हें भेंट की गई टोपी को पहनने से इंकार कर इसे फेंक चुके हैं।
यह बात विधायक राकेश पठानिया, सुरेश कश्यप और जीत राम कटवाल ने कही। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लोग अब विकास की टोपी के छत्र में हैं और बीजेपी टोपी की राजनीति में विश्वास नहीं करती है। उन्होंने कहा कि हरी अथवा मैरून रंगों की अवधारणा अब खत्म हो चुकी है। यह केवल हिमाचली टोपी है, वह चाहे हरे अथवा मैरून या फिर किसी और रंग की हो और इस पर पूर्व सीएम का बयान उनकी विचारधारा को दर्शाता है।
लोगों को बांटने की भावना दर्शा रहा बयान
उन्होंने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर सबका साथ, सबका विकास पर विश्वास रखते हैं, न कि टोपियों की राजनीति पर। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह अपने भाषणों में हमेशा ही संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण की बात करते रहे हैं, लेकिन टोपी पर उनका बयान लोगों को टोपियों के रंगों पर बांटने की उनकी आंतरिक भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राज्य के खजाने को खाली कर दिया और दो दर्जन से अधिक अनुपयुक्त सेवानिवृत्त, किराये पर व थके-हारे लोगों की एक बड़ी टीम को अनावश्यक राजनीतिक पदों पर बिठाकर खुले हाथों से खर्च किया।
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