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बूढ़ी दिवाली के समापन पर गिरिपार के द्राबिल में चला नाटी का दौर
शिलाई। गिरिपार क्षेत्र( Giripar Area) में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मनाई जाने वाली बूढ़ी दिवाली ( Buddi diwali)का गुरुवार को कई गांवों में समापन हो गया। शिलाई उपमंडल में बूढ़ी दिवाली के लिए मशहूर द्राबिल गांव में समापन मौके पर पूरे गांव के लोग सहित अन्य गांव से आए ग्रामीणों ने सुबह से ही नाच गाना शुरू कर दिया। दिनभर गांव में चोलटू नृत्य व हारूलों के साथ रासा नृत्य चलता रहा। गांव के लोगों ने दिवाली में आए मेहमानों का स्वागत मूड़ा शाकुली, अखरोट व चिवड़ा से किया। द्राबिल साझा आंगन में रात्रि को नाटक मंचन भी किया गया। इस दौरान लोगों के मनोरंजन के लिए खेलटू भी दिखाए गए।
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बता दें कि गिरिपार क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली व 28 पौष में मनाए जाने वाले माघी त्योहार सबसे बड़े माने जाते हैं। घर से बाहर नौकरी पेशे से जुड़े लोग भी इन त्योहारों में अवश्य शामिल होते हैं। दिवाली से ही ग्रामीण क्षेत्रों में बूढ़ी दिवाली की तैयारियां चली रहती हैं और बूढ़ी दिवाली के बाद भतियोज की तैयारी में लोग जुट जाते हैं। भतियोज में यहां हर घर में बकरा व खड्डू काटते हैं। इस बार कोरोना संकट के बीच इस गिरिपार इलाके में बूढ़ी दिवाली का पर्व सूक्ष्म तरीक़े से ही मनाया गया।