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शिमला। राज्यपाल के अभिभाषण पर दिए संशोधन को सदन में लाए बिना ही रिजेक्ट करने पर विपक्ष भड़क गया और उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया। नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष उनके संशोधन को बिना चर्चा और सदन में लाए बिना रिजेक्ट करते हैं तो उनके लिए सदन में बैठना मुश्किल हो जाएगा। ऐसा करते हुए बीजेपी सदस्य अपनी सीटों से उठे और नारेबाजी करने लगे और नारेबाजी करते हुए वे सदन से बाहर चले गए।
इससे पहले राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने के तुरंत बाद बीजेपी सदस्य सुरेश भारद्वाज ने मामला उठाया कि उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण को लेकर तीन संशोधन दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में उनके द्वारा राज्यपाल को सौंपी गई चार्जशीट, केंद्र द्वारा राज्य के लिए स्वीकृत किए गए एनएच और केंद्र द्वारा 14वें वित्यायोग के तहत दी गई मदद का इसमें कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने इस चर्चा में इन्हें शामिल करने की मांग की।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने कहा कि उनके संशोधन को रिजेक्ट किया गया है। इसलिए इसे सदन में नहीं लाया गया। उधर, नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में भी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संशोधन दिए जाते रहे हैं। संसदीय कार्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल 10 साल तक सदन के नेता रहे हैं और वे बताएं उस दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर क्या कभी कोई संशोधन आया। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यदि 10 साल विपक्ष सोया रहा,तो इसमें उनका क्या कसूर। इस बीच बीजेपी सदस्य रविंद्र रवि ने कहा कि जब यहां उन्होंने कोई विषय रखा है तो उसे सदन में लाया जाना चाहिए। उसे खुद रिजेक्ट करना सही नहीं है। इस पर सदन में चर्चा हो और यदि यहां गिरे तो कोई बात नहीं।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में कई बातों का जिक्र नहीं है। इसमें चार्जशीट का जिक्र नहीं है और 61 एनएच की बात नहीं है और 14वें वित्तायोग से मिली मदद का भी हवाला नहीं है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सड़कों में सबका जिक्र है। उधर, बुटेल ने कहा कि उन्होंने संशोधन को देखा और पाया कि संशोधन की बात है, उसका जिक्र है और इसलिए इसे रिजेक्ट किया। इस दौरान रूल्ज को लेकर सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्य शोर करने लगे और इससे सदन में कुछ देरतक शोरगुल होता रहा। इस बीच,धूमल ने कहा कि वे दिल्ली से पता कर सकते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा में ऐ्सा होता है या नहीं। उनका कहना था कि संशोधन सदन में ही रिजेक्ट हो सकती है, लेकिन अध्यक्ष बुटेल अपनी बात पर कायम रहे और सदन की कार्यवाही आगे चलाने लगे। उधर, संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सदन नियमों से चलता है और जब रूलिंग आ गई है तो इसे मानना चाहिए, लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी सीटों से उठे और नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।
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