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ऐलानः भवन के Regularization की लड़ाई एकजुट होकर लड़ेंगे Building Owner
Update: Sunday, January 28, 2018 @ 8:34 PM
शिमला। भवन के नियमितिकरण की लड़ाई को अब भवन मालिक एकजुट होकर लड़ेंगे। हक की लड़ाई के लिए शिमला उपनगरीय जनकल्याण समन्वय समिति के साथ-साथ अन्य कई समितियां मिलकर लड़ाई लड़ेंगी। भवन नियमितिकरण के मुद्दे पर मिलकर लड़ाई लड़ने को खुला अधिवेशन आज शिमला में हुआ। इस अधिवेशन का आयोजन सभी समितियों की संयुक्त रूप से बनी उपनगरीय जनकल्याण समन्वय समिति ने किया था। इस खुले अधिवेशन में शहर की विभिन्न समितियों ने हिस्सा लेते हुए भवनों के नियमितिकरण की मांग को लेकर भवन मालिकों ने मिलकर लड़ाई लड़ने की योजना बनाई।

इस अधिवेशन में मांग की गई कि सरकार प्रदेश हाईकोर्ट और एनजीटी के आदेशों को चुनौती दे। समिति के सचिव गोविंद चतरांटा ने प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्ताव रखा कि सभी संबंधित मंत्रालयों, विधायकों और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर जनभावना के बारे में अवगत करवाया जाए। उनका कहना था कि इन फैसलों से प्रभावित लोग दहशत के माहौल में अपना समय गुजार रहे हैं।
क्योंकि लोगों ने अपनी जीवनभर की पूंजी इन भवनों को निर्मित करने में निवेश की है, जोकि सरकार के विभिन्न विभागों और विभिन्न संस्थानों द्वारा स्थापित की गई प्रक्रिया के तहत पूर्ण करके मकानों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि इन भवनों को किसी भी रूप में 40 साल के अंतराल में अपनी निजी भूमि में अवैध नहीं कहा जा सकता है। इस फैसले से न केवल शिमला एवं इसके इर्द-गिर्द के क्षेत्र ही प्रभावित नहीं हुए हैं, बल्कि पूरे प्रदेश के दो नगर निगम, 31 नगरपालिकाएं और 21 नगर पंचायतें, स्पेशल एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी (साडा) चपेट में आए हैं।
कानून मंत्री को भी सौंपा ज्ञापन
इस अधिवेशन के बाद समन्वय समिति का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा और कानून मंत्री सुरेश भारद्वाज से मिला और उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपा। भारद्वाज ने लोगों की समस्याओं को शांतिपूर्वक सुना और प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि इस संबंध में शीघ्र ही सरकार पुर्नविचार याचिकाएं दायर करने पर विचार कर रही है। उन्होंने इस मुद्दे को एकमुश्त राहत के रूप में स्थायी समाधान देने का भी आश्वासन दिया।