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एक जमाना था जब मार्केट में गिने चुने ब्रांड की गाड़ियां उपलब्ध होती थी, लेकिन अब गाड़ियों भरमार है। आप अपनी जेब के अनुसार जो चाहें खरीद सकते हैं। लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो यूज्ड यानी सेकेंड हैंड कार भी खरीदना चाहते हैं। यह एक सस्ता तरीका हो सकता है। लेकिन जब भी आप यूज्ड कार खरीद रहे हैं तो आप को कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। वरना कार की मरम्मत करवाते आपकी जेब ढीली हो सकती है। पहली और अहम बात तो यह है कि कार हमेशा ऑफिशियल विक्रेता से ही खरीदें। इसकी सबसे बड़ा अहम फायदा यह है कि केवल वे ही आम तौर पर सभी चेक प्वाइंट्स को कवर करते हैं और वारंटी कवर प्रदान करने के अलावा डॉक्यूमेंटेशन का भी ध्यान रखते हैं। इतना ही नहीं आप की भी जिम्मेदारी बनती है कि आप कार का पूरा निरीक्षण करें ताकि कोई गलती ना हो। हम आप को यहां पर बता रहे हैं कि यूज्ड कार खरीदते समय किन चीजों का खास ख्याल रखना होता है।
सबसे पहले कार का बाहरी हिस्सा देखते हैं। पूरी कार को अच्छी तरह से चैक करें कि कार पर खरोंच का निशान तो नहीं। पेंट कहीं से उखड़ा तो नहीं। पूरी कार स्कैन करने से पता चल जाएगा कि कार किसी हादसे का शिकार हो नहीं हुई।
कार का इंजन स्टार्ट करें और जांचे कि एग्जास्ट कैसा लग रहा है। यदि यह बहुत हार्ड है तो संभवतयः इंजन के अंदर बहुत अधिक कार्बन जमा है। इस में से किसी भी ऑड साउंड और इंजन लाइट को चैक करें। जब आप कार खोलकर अंदर बैठे को ओडोमीटर रीडिंग चेक करें। अगर कार 4-5 वर्ष पुरानी है और ओडोमीटर पर 60 हजार किमी से अधिक काम किया है को किसी मैकेनिकल इश्यू या फिर मरम्मत कार्य के लिए जांचना होगा। आप कार की सर्विस हिस्ट्री को परख कर कर यह काम कर सकते है। सर्विस हिस्ट्री से साथ उपयोग कार खरीदना सही रहता है। कार से सभी इलेक्ट्रिकल्स को चैक करें। इन में हार्न, हेडलाइट्स, वाइपर, फॉग लैंप्स, कैबिन लेंप्स और स्टीरियो सिस्टम शामिल है। इनसभी चीजों को जल्द बाजी में कभी ना चेक करें। क्योंकि ये लंबे समय तक चलने वाली चीजें हैं। कार की बैटरी कितनी पुरानी इस बात की जांच करें। इसके बाद एसिड लेवल की भी जांचे क्योंकि यह दिखाता है कि कार को अच्छे से मेंटेन कर के रखा है।
ब्रेकिंग के लिए दो टेस्ट है। एक हाइवे पर जाना और दूसरा 50 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ब्रेक करना। फइर आप इसे ढलान पर ले जा सकत है और फइर ब्रेक लगाने के लिए जांच कर सकते हैं कि वो कितने प्रभावी है। कार को एक सीधी लाइन पर भी रोक कर देखना चाहिए। जो कार के व्हील अलाइनमेंट की जानकारी देता है। कार के स्टीयरिंग सिस्टम में किसी भी खराबी की जांच के लिए आप को कार पूरी तरह से चलाने की जरूरत है। स्टीयरिंग में किसी भी कंपन की जांच करें खीस तौर पर हाई स्पीड पर। यह आम तौर पर तब होता है जब बैलेंस बिगड़ता है। इसके अलावा स्टीयरिंग बहुत भारी लगता है तो स्टीयरिंग रैक और बुश के खराब होने की समस्या हो सकती है। रिम्स और टायरों की स्थिति की जांच करना बहुत अहम है क्योंकि उन्हें बदलने के लिए अलग से पैसे खर्च करने पड़ेंगे, जो औसतन इस्तेमल की गई कार की लगभग 10 फीसदी होगी।
किसी भी प्रकार की लीकेज के लिए जांच करें। इसके चांस होते है कि तेल , पानी या फिर लुब्रिकेंट लीक हो सकते हैं और इनको बदलवाने में काफी ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। कार खरीदते समय जिन डॉक्यूमेंट को जरूरी होना चाहिए, वो है रजिस्ट्रेशन पेपर, इंश्योरेंस पेपर, नो ऑब्जेक्शन और पॉल्यूशन सर्टिफिकेट । साथ ही इस बाच की भी जांच करें कि कार में सुरक्षा के लिए हाई सिक्योरिटी प्लेट्स और फास्टैग अटैच है।
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