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कैंटोनमेंट बोर्ड सुबाथू केसः हाईकोर्ट ने CBI विशेष अदालत के फैसले पर जताई सहमति
Last Updated on January 7, 2020 by Deepak
शिमला। हाईकोर्ट (High Court) ने सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत के फैसले से सहमति जताते हुए एक याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट (High Court) ने स्पष्ट किया है कि मात्र दोषपूर्ण या त्रुटिपूर्ण जांच के कारण अभियोजन पक्ष के मामले को खारिज नहीं किया जा सकता विशेषता तब जब पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर अपराध होने की पुष्टि प्रतीत हो रही हो। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने प्रार्थी अमरीश जोली द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात यह स्पष्ट किया कि प्रदेश में केंद्र सरकार या इसके संस्थानों के अधिकारियों या कर्मियों के खिलाफ जांच सीबीआई के क्षेत्राधिकार में होने का मतलब यह नहीं है कि ऐसे मामलों की जांच के लिए राज्य पुलिस (Police) को बाहर कर दिया जाए। प्रार्थी के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के अनुसार 17 अप्रैल 2017 को शिकायतकर्ता वेद पाल जांगड़ा ने शिमला के सीबीआई अधीक्षक के कार्यालय में शिकायत कर यह आरोप लगाया था कि प्रार्थी कैंटोनमेंट बोर्ड सुबाथू के क्षेत्र में आवंटित कार्य की साइट की पहचान करने से पहले उससे 10 फीसदी कमीशन की मांग कर रहा है।
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शिकायत के सत्यापन के लिए सीबीआई के पुलिस निरीक्षक, शिमला शाखा ने शिकायतकर्ता वेद पाल जांगड़ा और प्रार्थी की बातचीत को रिकॉर्ड करने में कामयाब रहे थे। शिकायतकर्ता वेद पाल जांगड़ा और प्रार्थी के साथ दो मौकों पर हुई बातचीत से यह निष्कर्ष निकाला गया कि प्रार्थी कमीशन की मांग कर रहा था। प्रार्थी के खिलाफ 19 अप्रैल 2017 को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस स्टेशन सीबीआई (CBI), शिमला और दो स्वतंत्र गवाहों के शामिल होने के बाद जाल बिछाया गया, जिसमें प्रार्थी को रंगे हाथ गिरफ्तार (Arrest) किया गया। अंतिम जांच के पश्चात विशेष न्यायाधीश सीबीआई शिमला के समक्ष चालान प्रस्तुत किया। 21 नवंबर 2018 को प्रार्थी के खिलाफ विशेष अदालत ने आरोपी तय किए। हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह दलील दी गई थी कि प्रार्थी कैंटोनमेंट बोर्ड सुबाथू में कनिष्ठ अभियंता (JE) के रूप में काम कर रहा है। वह केंद्र सरकार का कर्मचारी नहीं है, इसलिए सीबीआई (CBI) के पास उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कोई शक्ति और अधिकार क्षेत्र नहीं था। प्रार्थी की ओर से सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत की समक्ष यह दलील रखी मगर विशेष अदालत ने 21 नवंबर 2018 को उसकी दलीलों को खारिज कर दिया और प्रार्थी के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने भी विशेष अदालत के फैसले से सहमति जताते हुए प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया।