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नई दिल्ली। सेंसर बोर्ड ने अवॉर्ड विनिंग फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ को हरी झंडी देने से इनकार कर दिया है। सेंसर बोर्ड का कहना है कि यह कुछ ज्यादा ही महिला केंद्रित है। फिल्म के दृश्यों और भाषा पर भी बोर्ड ने आपत्ति जताई है। अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी इस फिल्म को प्रकाश झा ने प्रोड्यूस किया है, फिल्म में रत्ना पाठक शाह, विक्रांत मैसी, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर और शशांक अरोड़ा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म के निर्माता प्रकाश झा को एक पत्र भेजा है जिसमें फिल्म को प्रमाणित नहीं किए जाने का कारण लिखा है, “फिल्म की कहानी महिला केंद्रित है और उनकी जीवन से परे फैंटेसियों पर आधारित है। इसमें यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और अश्लील ऑडियो हैं। यह फिल्म समाज के एक विशेष तबके के प्रति अधिक संवेदनशील है इसलिए फिल्म को प्रमाणीकरण के लिए अस्वीकृत किया जाता है।”
फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने पर बॉलीवुड के कई कलाकारों ने इसकी निंदा की है। रेणुका शहाणे ने ट्वीट किया, “एक अवॉर्ड विनिंग फिल्म को बेवजह सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया।”
फिल्म के कलाकार शशांक अरोड़ा ने लिखा, “सेंसर बोर्ड आपने तीसरी बार मेरे काम से खिलवाड़ किया है। क्या इसे ही आप फ्रीडम ऑफ स्पीच कहते हैं?” मसान के निर्देशक नीरज घेवान ने सेंसर बोर्ड के इस फैसले को बैन करार दिया है. ऐशु नाम की एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “भारतीय सेंसर बोर्ड को मुझे ही बैन कर देना चाहिए, क्योंकि एक महिला होने के नाते मेरा पूरा अस्तित्व ही महिला केंद्रित है।”
फिल्म की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव ने सेंसर बोर्ड के इस फैसले को ‘महिलाओं के अधिकार’ पर हमला बताया है। फिल्म एक छोटे से शहर की चार महिलाओं की कहानी है जो आजादी की तलाश में हैं, जो खुद को समाज के बंधनों से मुक्त करना चाहती हैं।
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