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नई दिल्ली। दागी सांसदों और विधायकों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के निपटारे के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन करने का निर्णय लिया गया है। इन विशेष अदालतों में करीब 1571 आपराधिक केसों पर सुनवाई होगी। ये केस 2014 तक सभी नेताओं के द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन केसों का निपटारा एक साल के अंदर किया जाना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जबकि केंद्र सरकार ने इसे खारिज करते हुए 6 साल की बैन को ही लागू रखने को कहा था। गुजरात और हिमाचल चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को करारा झटका देते हुए उनके खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का प्लान पेश करने को कहा था। कोर्ट का आदेश था कि छह हफ्ते में सरकार अपना ड्राफ्ट प्लान कोर्ट को सौंपे, जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या और समय की जानकारी भी रहे, ताकि किसी भी दागी जनप्रतिनिधि के खिलाफ दाखिल मुकदमे का निपटारा साल भर के भीतर हो जाए।
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