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केंद्र सरकार ने एनआईए को सौंपी भीमा कोरेगांव केस की जांच, उठे सवाल
Last Updated on January 25, 2020 by
मुंबई। केंद्र सरकार (Central government) ने महाराष्ट्र सरकार की सहमति लिए बिना भीमा कोरेगांव हिंसा केस (Bhima Koregaon violence case) की जांच एनआईए (NIA) को सौंप दी है। इस बात की जानकारी महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने दी। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने मामले की जड़ों तक जाने का निर्णय लिया जिसके बाद एनआईए को जांच सौंपी गई। देशमुख ने इसे संविधान के खिलाफ बताया है। भीमा कोरेगांव हिंसा केस की जांच एनआईए को सौंपने को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, ‘यह सही फैसला है क्योंकि यह केस महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है, पूरे देश में फैला है।’ उन्होंने कहा, ‘इससे अर्बन नक्सलियों का भंडाफोड़ होगा।’
Anyone who opposes the MOSH agenda of hate is an “Urban Naxal”.
Bhima-Koregaon is a symbol of resistance that the Government’s NIA stooges can never erase. https://t.co/vIMUSs2pjL
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 25, 2020
वहीं केंद्र द्वारा जांच एनआईए को सौंपने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा है, ‘भीमा-कोरेगांव विरोध का प्रतीक है जिसे एनआईए के सरकारी पिट्ठू कभी मिटा नहीं सकते।’ राहुल ने कहा, ‘जो कोई भी मोदी-शाह के नफरत भरे एजेंडे का विरोध करता है उसे ‘अर्बन नक्सल’ बता दिया जाता है।’ भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 आरोपी हैं। पुलिस द्वारा अदालत में कुछ महीने पहले पेश की गई ड्राफ्ट चार्जशीट के मुताबिक, आरोपी पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या की तरह ही रोड शो के दौरान पीएम मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। आरोपियों में मानवाधिकार वकील, शिक्षाविद और लेखक शामिल हैं।