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certificate Issue: धर्मशाला। शिक्षा का अधिकार अधिनियम को सफल बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार भरसक प्रयास कर रही हैं, लेकिन सरकारी विभागों के बीच आपसी तालमेल नहीं होने की वजह से इस अधिनियम की धज्जियां उड़ रही हैं। प्रदेश की बात करें तो यहां प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने वाले सरकारी विभागों के इस उदासीन रवैये का शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में आठवीं कक्षा की परीक्षा पास करने वालों को प्रदेश शिक्षा विभाग और सर्व शिक्षा अभियान में आपसी तालमेल की कमी के चलते आठवीं पास करने का प्रमाण पत्र ही नहीं मिल पा रहा। गौरतलब है कि सरकारी क्षेत्र में क्लास फोर या अन्य निजी संस्थानों में रोजगार पाने के लिए न्यूनतम योग्यता मिडल पास निर्धारित है।
मिडल पास होने के बावजूद प्रमाण पत्र नहीं मिलने पर इन लोगों को रोजगार प्राप्त करने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में सिर्फ एक ही बार वर्ष 2012 में मिडल की परीक्षा पास करने वालों को प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। अब 5 वर्ष होने को हैं और इस अवधि में प्रदेश में दोबारा किसी को भी प्रारम्भिक शिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। रोजगार के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को इससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ जिला कांगड़ा के प्रधान नरेश कुमार, महासचिव निर्मल सिंह और प्रेस सचिव अजय कुमार, वित्त सचिव संतोष पराशर सहित अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि सभी विभागों को आपस में तालमेल बनाकर शिक्षा का अधिकार अधिनियम को सफल बनाने और इस अधिनियम में निर्धारित शर्तों को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।
प्रमाण पत्र जल्द करवाए जाएं उपलब्ध
उक्त पदाधिकारियों का कहना है की शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 30 (2) में स्पष्ट लिखा है कि प्रत्येक बच्चे को प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद प्रमाण पत्र देना अनिवार्य है। जबकि ऐसा नहीं करके हिमाचल प्रदेश में इस अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने वालों को प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने के पीछे धन की कमी का हवाला दिया जा रहा है जो कि तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने मांग की है कि प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने वालों को जल्द से जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाए जाएं ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। इस बारे में सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक घनश्याम चन्द से प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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