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जाने कब शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्र, बनेंगे ये शुभ संयोग
Last Updated on March 15, 2020 by saroj patrwal
ऐसा माना जाता है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्णाण कार्य शुरू किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत भी हो जाती है। चैत्र नवरात्र के दिनों में ऋतु परिवर्तन होता है और गर्मी के मौसम की शुरूआत होती है। इसी वजह से इन दिनों में उपवास का बड़ा महत्व बताया गया है, जो शरीर की शुद्धि के लिए जरूरी है।
इस वर्ष यह दिन विक्रम संवत (2077) हिंदू पंचांग का पहला दिन रहेगा है। इसी दिन सूर्य की पहली किरण पृथ्वी पर फैली थी। 9 ग्रह, 27 नक्षत्रों और 12 राशियों के उदय का दिन भी यह माना जाता है। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का जन्म भी इसी दिन हुआ था।
अनेक शुभ संयोग में मनाए जाएंगे चैत्र नवरात्रः इस बार चैत्र नवरात्र में कई शुभ योग रहेंगे। जिनमें 4 सर्वाथ सिद्धि योग, 5 रवि योग, एक द्विपुष्कर योग और एक गुरु पुष्य योग रहने वाला है। इस योगों की वजह से मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
इसके साथ ही 30 मार्च 2020 को गुरु शनि की राशि मकर में प्रवेश कर जाएं गे। जहां शनिदेव भी विराजमान हैं। मंगल भी मकर राशि में ही मौजूद हैं। मीन में सूर्य, कुंभ में बुध, मिथुन में राहु, धनु में केतु, वृषभ में शुक्र रहेंगे। ग्रह योगों के संयोग से भी ये नवरात्र जातकों के लिए शुभ मानी जा रही है।
इस वर्ष नवरात्र का प्रारंभ 25 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होगा और इसका समापन 2 अप्रैल को रामनवमी के दिन होगा।
इस वर्ष की चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च को दोपहर 2:57 बजे से शुरु हो रही है और 25 मार्च को दोपहर 5:26 बजे तक रहेगी। 24 तारीख को दोपहर में नवरात्र शुरु होने की वजह से पहले दिन की पूजा अगले दिन यानि कि 25 तारीख की सुबह को की जाएगी।
नवरात्र में 9 दिनों तक 9 देवियों की पूजा की जाती है। इस दौरान कलश स्थापना की जाती है जो इस त्योहार को खास बना देता है। ये कलश 9 दिनों तक मंदिर में रखा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र में घट स्थापना मीन लग्न में होगी।
जाने और समझें नवरात्र का महत्वः
नवरात्र संस्कृत शब्द है, नवरात्र एक हिंदू पर्व है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें। यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शारदीय नवरात्र, दूसरा चैत्र नवरात्र। नवरात्र के नौ रातों में तीन हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती की नौ में स्वरूपों पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं ।
नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएं अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।
पंडित दयानंद शास्त्री, उज्जैन (म.प्र.) (ज्योतिष-वास्तु सलाहगाड़ी) 09669290067, 09039390067