-
Advertisement
महाशिवरात्रि पर कब और कैसे करें चार पहर की पूजा
Last Updated on February 21, 2020 by saroj patrwal
अक्षय अनंत फल और मोक्ष या शिवलोक की प्राप्ति होती शिव पूजा से महाशिवरात्रि का शिव भक्तों को काफी इंतजार रहता है. इस साल महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं।महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020, (शुक्रवार) को है। यूं तो हिंदू धर्म में हर माह शिवरात्रि आती है पर फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है। इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए दोनों का साथ में पूजन किया जाता है। इस वर्ष 2020 की महाशिवरात्रि पर चतुर्दशी 21 फरवरी, शाम 5:20 से उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में एवम मकर राशि में शुरू होगी।इस दिन वणिज करण एवम व्यतिपात योग रहेगा।
रात्रि के प्रथम पहर में पहली पूजा, द्वितीय प्रहर में दूसरी पूजा, तृतीय प्रहर में तीसरी और चतुर्थ प्रहर में चौथी पूजा करनी चाहिए। इसे पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करना चाहिए। पूजन में रुद्राभिषेक, शिव मंत्र का जप, शिव मिहन्नस्रोत, शिवाष्टक, शिव सहस्त्र नाम आदि के पाठ का विधान है। शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य 14 वर्ष तक इस व्रत का पालन करता है, उसकी कई पीढ़ियों के पाप नष्ट हो जाते हैं। अक्षय अनंत फल और मोक्ष या शिवलोक की प्राप्ति होती है।
यह रहेगा चार पहर पूजा मुहूर्त–
महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती की पूजा 4 पहरों में बांटी गई है।
देखें शुभ समय
पहले पहर की पूजा: 21 फरवरी को शाम 06:26 से रात 09:33 तक
दूसरे पहर की पूजा: 21 फरवरी को रात 09:33 से रात 12:40 तक
तीसरे पहर की पूजा: 21 फरवरी को रात 12:40 से 22 फरवरी सुबह 03:48 तक
चौथे पहर की पूजा: 22 फरवरी को सुबह 03:48 से सुबह 06:55 तक
यह रहेगा सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त–
महाशिवरात्रि पर पूजा का बेहद शुभ मुहूर्त काल 50 मिनट का रहेगा।
ये समय होगा 22 फरवरी को मध्य रात्रि 12:15 बजे से 01:05 बजे तक। ये 50 मिनट बेहद शुभ हैं।
ऐसे करें महाशिवरात्रि व्रत
महाशिवरात्रि पर सुबह जल्दी स्नान करें। भगवान शिव की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। मंदिर में जाकर भगवान शिव को बेलपत्र आदि अर्पित करें। इस दिन रुद्राक्ष की माला धारण करना भी अच्छा माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। चन्दन, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें।भगवान शिव कल्याण करने वाले औघरदानी कहलाते हैं। वह शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। शिव पूजन में स्नान के उपरान्त शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही घृत, मधु, शर्करा (पंचामृत) गन्ने का रस चन्दन, अक्षत, पुष्प माला, बेल पत्र, भांग, धतूरा द्रव्यों से अभिषेक विशेष मनोकामनापूर्ति हेतु किया जाता है एवं ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करना चाहिए।महाशिवरात्रि पर शिव आराधना से प्रत्येक क्षेत्र में विजय, रोग मुक्ति, अकाल मृत्यु से मुक्ति, गृहस्थ जीवन सुखमय, धन की प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण, संतान सुख, शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
महाशिवरात्रि कालसर्पदोष, पितृदोष शान्ति का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्पदोष है, उन्हें इस दोष की शान्ति इस दिन करनी चाहिए।