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मंडी। सीएम वीरभद्र सिंह विधायक बंबर ठाकुर के बचाव में उतर आए हैं। एक डॉक्टर को फोन पर तबादले की धमकी देने के मामले पर सीएम वीरभद्र सिंह ने अपने विधायक का बचाव किया है। बता दें कि इन दिनों विधायक बंबर ठाकुर और एक डॉक्टर के बीच हुई बातचीत का आडियो क्लिप काफी वायरल हुआ है और इस आडियो में विधायक डॉक्टर को तबादले की धमकी देते हुए सुनाई दे रहे हैं। इस पर जब सीएम वीरभद्र सिंह से पूछा गया तो उन्होंने फोन को रिकॉर्ड करने की बात को गलत बताया।
सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि कुछ अधिकारी बंबर ठाकुर के पीछे पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति किसी को फोन करता है तो उसे रिकॉर्ड करना उचित नहीं होता। सीएम ने कहा कि किसी के फोन को रिकॉर्ड करना किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी की ड्यूटी नहीं होती। फिर चाहे वह डॉक्टर हो या कोई और अधिकारी। उन्होंने कहा कि विधायक ने सिर्फ व्यक्ति की अपंगता को लेकर बात की थी और यह बात यहीं पर ही समाप्त हो जानी चाहिए थी। इसमें रिकॉर्ड करने वाली कोई बात ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि विधायक के खिलाफ कुछ अधिकारी साजिश रच रहे हैं। बता दें कि बिलासपुर के विधायक बंबर ठाकुर व बिलासपुर अस्पताल में कार्यरत आर्थो सर्जन डा जसबीर सिंह के बीच उपजे विवाद में हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन भी कूद पड़ी है। एसोसिएशन ने बिलासपुर जिला अस्पताल में तैनात आर्थों चिकित्सक के साथ विधायक की बदसलूकी पर कड़ी निंदा व्यक्त की है। साथ ही सीएम वीरभद्र सिंह से हस्तक्षेप कर सुलझाने की मांग की है अन्यथा एसोसिएशन भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने की चेतावनी दी है। लेकिन, अब सीएम के इस मामले में आए इस बयान ने मामले को और उलझा कर रख दिया है। सीएम वीरभद्र सिंह के इस बयान के बाद अब देखना यह बाकी है कि हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन का क्या रुख रहता है।
ऊना। बिलासपुर में विधायक द्वारा चिकित्सक को डराने धमकाने के मामले की जिला ऊना के चिकित्सकों ने कड़ी निंदा की है। ऊना के डाक्टरों ने बिलासपुर के डाक्टर का समर्थन करते हुए कहा कि अभद्र व्यवहार व धमकियां सहन नहीं की जाएगी। जिला चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष डा. राहुल कतना ने कहा कि सरकार को सुनिशिचित करना चाहिए कि चिकित्सकों के हितों की रक्षा हो सके, ताकि चिकित्सक बेखौफ रोगियों की सेवा का काम कर सकें। संघ के महासचिव डा. पीयूष नंदा, प्रेस सचिव डा.हरसिमर, उपाध्यक्ष डा. अशोक दड़ोच ने कहा कि चिकित्सक पूरी मेहनत व कर्मठा के साथ प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का काम कर रहे हैं।
ऐसे में राजनीतिक या अन्य दबावों से चिकित्सकों को काम करने से रोकना गलत परंपरा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक को कानून अनुसार ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिलासपुर की घटना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए और प्रदेश में चिकित्सक हितैषी माहौल बनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चिकित्सक काम करने से कभी कतराता नहीं है, लेकिन यदि चिकित्सकों के साथ काम करने के बावजूद दुर्व्यवहार होगा, तो इससे चिकित्सकों को मनोबल टूटेगा। डा. पीयूष नंदा ने कहा कि बिलासपुर की घटना से पहले ऊना में भी एक विवाद हुआ था, जिसमें चिकित्सकों ने कड़ा रुख अपनाकर एकता दिखाई थी।
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