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मानवाधिकार कमीशन गठन मामले में मुख्य सचिव High Court में तलब
Last Updated on March 5, 2020 by Deepak
शिमला। अदालती आदेशों के बावजूद भी राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में मानवाधिकार कमीशन का गठन न किए जाने पर हाईकोर्ट (High Court) ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल टिप्पणी की है। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने अदालती आदेशों की अवहेलना किए जाने पर मुख्य सचिव को आगामी 12 मार्च के लिए अदालत के समक्ष तलब किया है।
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पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत के समक्ष बयान दिए थे कि प्रदेश में मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति बारे विभिन्न हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सूचित कर दिया गया है। प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति किए जाने बारे राज्य सरकार ने चार महीने का समय मांगा था। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वह एक सप्ताह के भीतर अदालत को बताए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार राज्य में मानवाधिकार आयोग की स्थापना क्यों नहीं की गई।
न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि स्टेट ह्यूमन राइट कमीशन वर्ष 2005 से कार्य नहीं कर रहा है। राज्य सरकार की ओर से इसे क्रियाशील रखने के लिए जरूरी पदों पर नियुक्तियां नहीं की गई हैं, जबकि पिछले 15 साल में तीन बार सरकारी बदल चुकी है, जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होने की स्थिति में उनको तुरन्त न्याय दिलवाने के लिए कोई उपयुक्त फोरम नहीं है। याचिका में ऐसे कई उदाहरण दिए गए है कि ह्यूमन राइट कमीशन का होने पर लोगों को गुहार लगाने के लिए अदालतों का सहारा लेना पड़ा। इसी तरह राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्ता का भी गठन नहीं किया गया है, जिस कारण लोकायुक्ता के अधीन आने वाले मामलों पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है। मामले की आगामी सुनवाई 12 मार्च को निर्धारित की गई है।