-
Advertisement
चलो स्कूल चले हमः बैलून बेचते थे मासूम, Child Line ने दिखाई राह
Last Updated on January 23, 2020 by
पांवटा साहिब। चाइल्ड लाइन सिरमौर (Child Line Sirmaur) ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को स्कूल ( School)की राह दिखाई है। स्कूल में दाखिला लेने के बाद भी कई बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे। इसकी जानकारी चाइल्ड लाइन को तब मिली जब टीम सदस्य सुंदर सिंह व निशा ने आउटरीच के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला बातामंडी ( Government Primary School, Batamandi) का दौरा किया। स्कूल के सीएचटी ने बताया कि बंगाला बस्ती के 15 बच्चे ऐसे हैं जो रोज स्कूल नहीं पहुंच रहे। महीने में बच्चे 10-12 दिन ही स्कूल आते हैं। बाकि, दिन ये बच्चे बाजार में इधर-उधर घूमते मिलते हैं। पांवटा में बच्चे बैलून बेचते हैं। ये सभी उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं, जिनके अभिभावक 10 साल से झुग्गी झोंपड़िय़ों में रहते हैं। इस पर टीम सदस्यों ने बच्चों के अभिभावकों की काउंसलिंग की। उन्हें पढ़ाई का महत्व बताया।
यह भी पढ़ें: Royal Enfiled ने लॉन्च किया Himalayan का बीएस-6 मॉडल, जानें
लिहाजा, सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों को रोजाना स्कूल भेजने का आश्वासन दिया। हालांकि, टीम इसके बाद वापस लौट गई। एक दो दिन बाद फिर से टीम ने इसका फालोअप किया। टीम में शामिल चाइल्ड लाइन की काउंसलर विनीता ठाकुर व टीम सदस्य रामलाल जब स्कूल पहुंचे तो पाया कि 15 में से 11 बच्चे स्कूल पहुंचे हैं। जब इस बारे सीएचटी से बात की तो पता चला कि चार बच्चे अपने अभिभावकों के साथ यूपी लौट गए हैं। जबकि, 11 बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं। इस तरह चाइल्ड लाइन ने प्रवासी मजदूरों के बच्चों को स्कूल की राह दिखाई। उनके भविष्य को दांव में लगने से बचा लिया। बता दें कि इससे पहले कटाह शीतला में भी चाइल्ड लाइन ने 10 गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल पहुंचाया। नाहन में भी प्रवासी मजदूरों को स्कूल में प्रवेश दिलाया।