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शिमला। हिमाचल में किसान आंदोलन के समर्थन में पहली बार किसानों-बागवानों (Farmer-gardener) के बच्चे (Children) भी सड़कों पर उतरे हैं। स्कूल, कालेजों और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले इन बच्चों (Students) ने राजधानी शिमला (Shimla) में किसान बिल (Farmer Bill) के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की। स्कूल कालेजों में पढ़ने वाले इन बच्चों ने शुक्रवार को शहर भर में विरोध मार्च निकाला। जागरूकता मार्च में सभी छात्र ऐसे हैं जो सेब बाहुल क्षेत्र से संबंधित हैं और सभी के परिजन बागवान ही हैं। इन छात्रों ने आज की युवा पीढ़ी को किसान आंदोलन (Farmer Protest) के समर्थन में जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। छात्रों का कहना है कि आज वह समय आ गया है जब युवा पीढ़ी को देश के महत्वपूर्ण फैसलों पर अपनी राय देने और एकजुट होकर मुद्दों पर अपना रुख साफ करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि कि अगर आज की युवा पीढ़ी जागरूक नहीं होगी और अपने हक के लिए आवाज नहीं उठाएगी तो कुछ लोग देश को अपनी मर्जी से चलाने की कोशिश करेंगे और गलत फैसलों और अपनी मनमर्जी को उन पर थोपते रहेंगे।
भारतीय जनवादी महिला समिति (bhaarateey janavaadee mahila samiti) ने कोरोना काल के दौरान कूड़े के भारी भरकम बिलों को माफ करने की मांग उठाई है। मांग को लेकर समिति ने महापौर का घेराव किया और जम कर नारेबाजी की। जनवादी महिला समिति की अध्यक्ष फ़ालमा चौहान ने कहा कि नगर निगम (Municipal Corporation) को कूड़े के बिलों (Garbage bill) को माफ करने को लेकर कई बार ज्ञापन दिया चुका है, लेकिन निगम की नींद नही खुली है। उन्होंने बताया कि लाकडाउन के दौरान लोगों के रोजगार चले गए अधिकतर लोग शिमला (Shimla) में नही थे। ऐसे में कूड़े व बिजली के बिलों को माफ कर गरीब लोगों को राहत देनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नही किया जाता है तो आंदोलन उग्र किया जाएगा, जिसका जिम्मेदारी नगर निगम और प्रशासन की होगी।
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