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LAC पर गलवान घाटी में 2 किमी पीछे हटी China की सेना, बफर जोन बना
Last Updated on July 6, 2020 by
नई दिल्ली। भारत और चीन सीमा विवाद के बीच एक अहम खबर सामने आई है। लद्दाख में लाइन आफ एक्चूअल कंट्रोल (LAC) पर गलवान घाटी में चीन ने 1.5 से 2 किमी तक अपने टैंट पीछे कर लिए हैं। भारतीय जवान भी पीछे आ गए और दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच एक बफर ज़ोन बना दिया गया है। चीन ने ये टैंट डिसइंगेजमेंट के तहत पीछे हटाए हैं। दोनों देशों की सेना ने डिसइंगेजमेंट (Disengagement) पर सहमति जताई है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं। इस मामले पर रक्षा विशेषज्ञ केके सिन्हा ने कहा, “हमने चीन से कहा था कि गलवान घाटी पर हमारा अधिकार है, आप यहां से अपनी सेना हटा ले, लेकिन वह नहीं माने। फिर भारत-चीन के बीच सेनाओं के 5 किमी पीछे हटने की बात हुई थी, लेकिन चीनी सेना अभी सिर्फ 1.5 किमी पीछे हटी।
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सूत्रों के मुताबिक, चीनी सैनिकों ने गलवान नदी के मोड़ से हटना शुरू कर दिया है और इस इलाके से अस्थायी ढांचों और टेंट को हटा दिया गया है। वर्तमान में, यह प्रक्रिया सिर्फ गलवान घाटी तक में सीमित है। पीएम नरेंद्र मोदी के अचानक लद्दाख के दौर पर जाने के तीन दिन बाद चीन सेना के पीछे हटने की खबर आ रही है। लद्दाख (Ladakh) में पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि विस्तारवाद की उम्र खत्म हो गई है। यह विकास की उम्र है। इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतें या तो हार गई हैं या वापस लौटने के लिए मजबूर हो गई हैं।
गलवान घाटी में गई थी 20 भारतीय जवानों की जान
गलवान घाटी (Galwan Valley) में हुई सैन्य झड़प में भारत के 20 जवानों की जान गई थी जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों के हताहत होने की खबर आई थी। दरअसल, भारत और चीन की सेनाओं के बीच 30 जून को करीब 10 घंटे तक कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी। इस बातचीत का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना था। भारत ने पुरानी स्थिति बहाल करने और तत्काल चीनी सैनिकों (Chinese soldiers) को गलवान घाटी, पेंगोंग सो और अन्य इलाकों से वापस बुलाने की मांग की थी। इससे पहले दोनों पक्षों के बीच 22 जून को हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले सभी स्थानों पर पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी थी। पहले दो दौर की बातचीत एलएसी के पास चीनी जमीन पर मोल्दो में हुई थीं। गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी छूट दे दी।