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#China ने कहा- अवैध रूप से बनाए गए ‘लद्दाख’ को नहीं देते मान्यता; भारत ने दिया दो टूक जवाब
नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा (India-China Border) पर जारी तनाव के बीच चीन ने भारत के खिलाफ नया पैंतरा चलते हुए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Ladakh) को अवैध करार दिया है। चीन (China) के विदेश मंत्रालय ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर कहा है कि वह इसे मान्यता नहीं देता है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन भारत द्वारा अवैध रूप गठित किए गए तथाकथित केंद्र शासित लद्दाख को मान्यता नहीं देता है। वहीं, चीन सैन्य नियंत्रण उद्देश्यों के लिए विवादित सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण का भी विरोध करता है।
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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा यह बयान सीमा पर सड़क बनाने के भारत के कदम पर दिया गया है। चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि हाल ही में चीन और भारत के बीच हुई सहमति के अनुसार, किसी भी पक्ष को सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई ऐसी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो स्थिति को जटिल बना दे। हालात को बेहतर बनाने के दोनों पक्षों के प्रयासों को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। चीन एक बार फिर एलएसी को तय करने में 1959 के एकतरफा समझौते का हवाला दे रहा है।
भारत का जवाब- 1959 की LAC की वो परिभाषा हम नहीं मानते
वहीं, दूसरी तरफ भारत (India) ने पलटवार करते हुए चीन से सख्त अंदाज में कहा कि बार-बार भटकाने की मंशा सफल नहीं होगी। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर चीन के दावे को भारत ने सिरे से खारिज करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि भारत ने कभी भी 1959 के चीन के एकतरफ़ा तौर पर तय एलएसी को नहीं माना। 1993 के बाद ऐसे कई समझौते हुए जिसका मक़सद अंतिम समझौते तक सीमा पर शांति और यथास्थिति बनाए रखना था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि 2005 के भारत सीमा के निपटारे के लिए राजनीतिक मापदंडों और मार्गदर्शक सिद्धांतों पर समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और चीन दोनों ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) की एक आम समझ तक पहुंचने के लिए एलएसी के स्पष्टीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में चीन का इस तरह का बयान आपत्तिजनक है और दोनों देशों के बीच आपसी सहमति का घोर उल्लंघन भी है।