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‘गांवों की ओर चले उद्योग जगत; Jobs के लिए नहीं आना होगा शहर’
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कहर के बीच देश में जो सबसे बड़ी समस्या खड़ी हुई वह है मजदूरों का शहरों से पलायन। वहीं कोरोना के बढ़ते प्रभाव के बीच यह भी माना जा रहा है कि इस महामारी के दौर में अपने-अपने घरों को लौटे ये मजदूर इतनी जल्दी वापस शहरों की तरफ रुख नहीं करेंगे। वहीं कई मजदूरन ने तो यहां तक कह दिया है कि वो अब कभी भी उन बड़े शहरों की तरफ काम की तलाश में नहीं जाने वाले। इस सब के बीच खबर सामने आ रही है कि इन मजदूरन को रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए देश की बड़ी कंपनियां गांवों की तरफ रुख करेंगी।
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इन दिनों अरबन से रूरल इलाकों की ओर रिवर्स माइग्रेशन हो रहा
भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industries) के नए अध्यक्ष उदय कोटक (Uday Kotak) ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि अब रूरल से अरबन की ओर पलायन नहीं बल्कि अरबन से रूरल इलाकों की ओर रिवर्स माइग्रेशन (Reverse Migration) हो रहा है। एक तरह से कहें तो यह रूरल अरबन रीबैलेंस होगा। अब उन्हें घर के आसपास ही रोजगार मिलेगा और वे अपने परिवार के साथ रहेंगे। उन्हें शहरों में स्लम एरिया में रहने से मुक्ति मिलेगी। बकौल उदय, ‘अब बड़ी कंपनियां भी गांवों में जाकर ही फैक्ट्री लगाने के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचने लगी है। एक उद्योग संगठन के रूप में सीआईआई इसी को बढ़ावा देगा।’
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गांवों के पास कारखाने लगाने पर कुशल कारीगरों की कमी नहीं होगी
उन्होंने आगे कहा कि देखा जाए तो सरकार इस समय सुधार के इतने कदम उठा रही है और ग्रामीण क्षेत्र में ढांचागत संरचना इस तरह से बन रहा है कि वहां भी काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। उदय के मुताबिक़ इस समय लाखों अति कुशल लोगों का शहरों से पलायन गांव की ओर हुआ है। इसलिए गांवों के आस पास कारखाने लगाने वाले लोगों को कुशल कारीगरों की कोई कमी नहीं होगी। यदि जरूरत पड़ी तो उन्हें रीस्किल किया जा सकता है, उन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर कुछ और काम करने योग्य बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने एक नई चीज सिखा दी है। वह है वर्क फ्रॉम होम (Work from home)। यह एक नया तरीका है जो कि आगे भी काम आएगा। गांवों में भी वर्क फ्रॉम होम मे दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि गांव-गांव तक ब्रॉडबैंड की पहुंच पहले ही हो चुकी है।