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शिमला। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियनज़ (सीटू) ने प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किये जा रहे मजदूर विरोधी संशोधनों व लाए गए अध्यादेशों के खिलाफ़ मंगलवार को विधानसभा का घेराव किया। इस दौरान विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन (Protest) किया और डीसी शिमला के माध्यम से सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें अध्यादेशों को वापिस लेने की मांग की गई। मंगलवार को विक्ट्री टनल से शुरू हुई रैली विधानसभा चौक पहुंची जहां पर जनसभा को सीटू (CITU) राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व अन्य ने संबोधित किया।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि श्रम कानूनों (Labor laws) में किये गए ये बदलाव व लाए गए अध्यादेश पूर्णतः मजदूर विरोधी हैं। इन अध्यादेशों से हिमाचल प्रदेश के 5175 पंजीकृत कारखानों में कार्य करने वाले 3,50,550 मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे। इन अध्यादेशों से लाखों ठेका मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा बिल्कुल नष्ट हो जाएगी। इन अध्यादेशों (ordinance) के परिणाम स्वरूप लाखों औद्योगिक मजदूरों की स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी हो जाएगी। इन अध्यादेशों के चलते नियमित किस्म का कार्य खत्म हो जाएगा व फिक्स टर्म कार्य के ज़रिए मजदूरों का भारी शोषण होगा। इन अध्यादेशों से न्यूनतम वेतन कानून के अनुसार बनने वाले मजदूरों के रिकॉर्ड की प्रक्रिया भी खत्म हो जाएगी। इन अध्यादेशों से मजदूरों के कार्य के घंटे आठ से बढ़कर बारह हो जाएंगे जिससे ना केवल कार्यरत मजदूरों का शोषण बढ़ेगा, अपितु एक-तिहाई मजदूर रोज़गार से वंचित हो जाएंगे। इस तरह ये अध्यादेश पूरी तरह मजदूरों के खिलाफ हैं। ये अध्यादेश पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व ठेकेदारों के हित में हैं व इस से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा।
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