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मंडी। बंद घड़ी ठहराव और पतन का सूचक होती हैं। घर में बंद घड़ी शुभ नहीं मानी जाती। मंडी शहर( Mandi city) की बात करें तो यहां पर शहर के बीच 1920 में बना ऐतिहासिक घंटाघर कई वर्षों से दयनीय हालत में है। कारण है इसमें लगी पुरानी मशीनरी( Old machinery) जो एक या दो वर्षों में खराब हो जाती है, जिसके कारण न तो शहर के लोगों और यहां आने वाले लोगों को सही समय का पता चलता है और नहीं एक घंटा होने पर घंटाघर के घंटे की आवाज सुनाई देती है।
इस वजह से छोटी काशी कहे जाने वाले मंडी शहर की खूबसुरती इस कारण से कुछ फीकी पड़ जाती है। आज के समय की बात करें तो मंडी शहर के घंटाघर( Ghantaghar) को बाहर से तो खूब चमकाया गया है लेकिन इसमें लगी घड़ी अब यही कह रही है कि मुझे इस समय मरम्मत की जरूरत है।
इस समय था जब इस घड़ी को देख अपने काम निपटाते थे। लेकिन घड़ी के बार-बार खराब होने की स्थिति में इसके समय पर कम ही विश्वास करते हैं। लोगों का कहना है कि आज हमारा देश जहां डिजिटल भारत ( Digital India) की ओर बढ़ रहा है तो क्यों न मंडी शहर में बने इस घंटाघर की घड़ी के मैकेनिज्म में कुछ बदलाव किए जाएं व कुछ ऐसा प्रावधान किया जाए ताकि घंटाघर की ऐतिहासिकता भी बने रहे और बार-बार घड़ी भी खराब न हो। लोगों का इस भी कहना है कि इसमें जो खर्च आता है वह जनता का पैसा है और उसे यूं बार-बार मरम्मत पर खर्च करना उचित नहीं।
वहीं जब इस समस्या के बारे में नगर परिषद मंडी की अध्यक्षा सुमन ठाकुर से बात की गई तो उन्होने बताया कि घंटाघर की इस समस्या के निदान के लिए प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है। कोलकाता से कारीगर को बुलवाया जाएगा व मंडी के ऐतिहासिक घंटाघर व उसकी सुइयों को जल्द दुरूस्त करवाया जाएगा। इसके साथ ही उन्होने मीडिया के माध्यम से मंडी शहर के घड़ीसाजों व अन्य से अपील की है कि अगर कोई इस घंटाघर व घड़ी को सही कर सकता है तो वे इस कार्य को करने के लिए नगर परिषद के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
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